कलेक्टर ने समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय स्तर पर विकल्प तैयार करने पर दिया जोर
धमतरी । जिले की प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में मूलभूत संसाधनों की उपलब्धता, पंजी संधारण व रखरखाव का आंकलन करने कलेक्टर रजत बंसल की विशेष पहल पर ‘परख’ कार्यक्रम पिछले तीन माह से चलाया जा रहा है। अब इसके अगले चरण में विद्यार्थियों में लर्निंग आउटकम (सीखने की दक्षता) का आंकलन किया जाएगा। इसी क्रम में आज कुरूद में कलेक्टर की उपस्थिति में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कुरूद एवं मगरलोड विकासखण्ड के चिन्हांकित प्रधानपाठक, संकुल समन्वयक एवं पीएलसी के द्वारा समूह बनाकर अब तक 100 बिन्दुओं के आधार पर प्राप्त निष्कर्षों को साझा किया गया।
कुरूद के बाइपास मार्ग पर स्थित सामाजिक भवन में आयोजित कार्यशाला में कलेक्टर ने उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि स्कूलों में मूलभूत कमियों को दूर करने के अलावा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए ‘परख’ के माध्यम से आंकलन का कार्य किया गया। शालाओं में संसाधनों और रखरखाव के मूल्यांकन के उपरांत अब सिर्फ बच्चों में शिक्षा स्तर का आंकलन किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विद्यार्थियों में शिक्षा स्तर का वास्तविक स्वरूप सामने आए, इसके लिए सभी प्रयास स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। अर्थात् प्रधानपाठक, संकुल समन्वयक और ‘परख’ के अंतर्गत बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक ही बच्चों, शिक्षकों, पालकों व समाज के मध्य गतिरोधों को समझकर परस्पर तालमेल विकसित करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि ‘परख’ को एक प्लेटफॉर्म बनाकर बच्चों में कमियों को दूर कर एक विशिष्ट स्तर स्थापित करना ही इसका ध्येय है और इसके लिए ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता है, जो स्वस्फूर्त होकर आगे आए। यानी कमजोर बच्चों की कमियों को भांपकर उसे दूर करने का हरसंभव प्रयास करें। कलेक्टर ने ‘परख’ के तहत शिक्षकों के द्वारा अब तक किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए आगे भी इस दिशा में बेहतर कार्य करने की उम्मीद जाहिर की।
एक दिवसीय कार्यशाला में शिक्षकों के समूह तैयार कर उनसे ‘बच्चों में शिक्षा का स्तर के नीचे क्यों जा रहा है’ विषय पर अभिमत लिया गया। साथ ही प्रत्येक ग्रुप से शिक्षकों को आमंत्रित कर यलो और रेड इंडेक्स वाले स्कूलों में समस्याओं के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान संकुल समन्वयकों एवं पीएलसी ने बच्चों में सीखने व ग्रहण करने की अल्प क्षमता, पारम्परिक रूप से पाठ्यांश का वाचन कराया जाना, शिक्षक एवं विद्यार्थियों में परस्पर तालमेल का अभाव, कमजोर बच्चों को अवसर कम देना, पुस्तकालयों का यथोचित उपयोग नहीं किया जाना, कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान देने के स्थान पर उसे उसी स्तर पर छोड़ दिया जाना, शिक्षकीय स्टाफ के बीच समन्वय की कमी, पाठ्यक्रमों का दोहराव नहीं कराया जाना, शिक्षक द्वारा स्थानीय बोली/भाषा का कम प्रयोग किया जाना, शैक्षिक गतिविधियों में कमजोर बच्चों की न्यून सहभागिता, शाला प्रबंधन समिति और शिक्षकों व पालकों के बीच तालमेल की कमी जैसे अनेक बिन्दुओं पर चर्चा की तथा कार्यशाला के दूसरे सत्र में इनके समाधान के लिए शिक्षकों व पीएलसी से सुझाव आमंत्रित किए गए। इस अवसर पर डीपीसी बिपिन देशमुख, डीआईओ श्रीउपेन्द्र चंदेल, एसडीएम कुरूद जितेन्द्र कुर्रे भी उपस्थित थे।