कलीकाल में आचार्य पद का निर्वाह अरिहंत पद की तरह-विमर्श सागर महाराज

भिलाईनगर। सूरी गच्छाचार्य श्री विराग सागर महाराज का 28वांँ पदारोहण त्रिवेणी जैन तीर्थ श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 6 में भक्ति भाव से मनाया गया। जहांँ श्री जिनेन्द्र देव के मंगल अभिषेक एवं परमपूज्य आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज के अमृत वचनों से शांतिधारा करने का सौभाग्य महावीर प्रकाश अशोक निगोतिया, सुरेन्द्र अजमेरा को मिला। जहांँ अभिषेक करने वालों में दीपचंद जैन, सुनील कासलीवाल, सुनील बाकलीवाल, प्रशांत जैन, प्रदीप जैन बाकलीवाल, सिंपी जैन, डॉ.जिनेन्द्र जैन, प्रासुक नाहर, मुनमुन काला, अरुण जैन आदि शामिल रहे।
इस अवसर पर आज परमपूज्य आचार्य विराग सागर महाराज जी के 28 वें पदारोहण दिवस पर परमपूज्य आचार्य विमर्श सागर महाराज जी के सानिध्य में मंगलचरण, ब्रह्मचारिणी बहनों ने किया। देवशास्त्र गुरु की पूजन परमपूज्य आर्यिका माता जी विद्यांत के संगीतमय अमृत वचनों से श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अध्यक्ष ज्ञानचंद बाकलीवाल, प्रवीण छाबड़ा, प्रशांत जैन, जैन मिलन, जैन ट्रस्ट, नेहरू नगर, वैशाली नगर, रुआबांधा, रिसाली एवं दुर्ग आदि मंदिरों के प्रतिनिधियों ने आचार्य श्री को श्रीफल अर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्य श्री विराग सागर महाराज जी के पदारोहण दिवस पर संपूर्ण जैन भवन मानों भगवान के समौव शरण जैसा भक्तजनों के पूजन आराधना के साथ लग रहा था। जहाँं सभी भक्तों ने मंगलदीप प्रज्ज्वलन कर बहुत ही सुंदर तरीके से अष्टद्रव्य अघ्र्यए पूजन नृत्य करते हुए अर्पण किया।
आज आचार्य श्री विमर्स सागर महाराज ने अपने अमृत वचन में कहा कि, जैन धर्म में पंच परम पद होते हैं। इनमें स्थित आत्मा परमेष्ठी कहलाती है। यह हमारे आदर्श होते हैं। आचार्य परमेष्ठी जो स्वयं पंचाचार्य का पालन करते हैं और कराते हैं, जो अरहंत भगवान के लघुनंदन बनकर वर्तमान में मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करते हैं। आचार्य परमेष्ठी 36 मूल गुणों के धारी होते हैं। आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के गुणों का गान करते हुए श्रमणाचार्य श्री विमर्श सागर जी ने कहा कि पूज्य गुरुदेव का दर्शनाचार, ज्ञानाचार, तपाचार, चरित्राचार एवं विर्याचार की दृढ़ता महान है। अनुकूल परिस्थितियों में तो मूल गुणों का पालन करते हैं प्रतिकूलता में भी मूल गुणों का पालन दृढ़ता से करते हैं। अचार्य श्री ने बताया कि, 2003 में सेक्टर 6 चातुर्मास के दौरान जब पूज्य गुरुदेव पर उपसर्ग आया था वे सरोवर के निकट मिले। उपसर्ग की घड़ी में पंचाचार्य का पालन किया। आज के दिन द्रोणगिरी में परमपूज्य गुरुदेव को गुरुजनो की आज्ञा से आचार्य पद प्रदान किया गया था। ऐसे महान साधकों का गुणगान करने से हम भी गुणवान बनते हैं। इस अवसर पर सेक्टर 6 की धरा में सैकड़ों भक्तों बढ़चढ़ कर भाग लिया एवं मोक्ष मार्ग प्रशस्त किया।
जैन भवन मंदिर प्रांगण में आचार्य श्री विराग सागर महाराज जी के छायाचित्र के समक्ष मंगल दीप प्रज्ज्वलन भिलाई दुर्ग, नेहरू नगर जैन मंदिर के महिलाओं ने किया। परम पूज्य आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज के पाद प्रच्छालन का प्रमेन्द्र जैन, बाकलीवाल भवन के महासचिव प्रदीप जैन बाकलीवाल, श्री पाश्र्वनाथ दिगंबर महासभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद बाकलीवाल, मंत्री प्रशांत जैन, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र जैन, अमित जैन, भारत गोधा, अंकित जैन ने करते हुए श्रीफल अर्पन किया। जिनवानी शास्त्र देने का सौभाग्य श्रीमती चेलना जैन अध्यक्षा जैन महिला क्लब, श्रीमती गुणमाला कासलीवाल, अनिता जैन, सुनिता दोशी, श्रीमती सज्जन देवी जैन, नीना जैन आदि के साथ महिला मंडल की सदस्यों को मिला। आहारचर्या का सौभाग्य श्रीमती अनिता कमल जैन परिवार को मिला। आज विशेष उपस्थिति डॉ.सुधीर गांगेय, सुभाष बाकलीवाल, अरविंद जैन, भागचंद जैन, मनीष जैन, गोलू पाठनी, दीपक जैन, सुनील जैन, संजय चतुर, मुकेश जैन, मुकेश बाकलीवाल आदि की थी।

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