एनजीटी ने झारखंड सरकार पर लगाया 113 करोड़ का जुर्माना, आपराधिक मुकदमा भी होगा दर्ज

रांची। चईसी क्षेत्र में बने विधानसभा और हाई कोर्ट भवनों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बड़ा फैसला सुनाया है। एनजीटी ने माना है कि दोनों भवनों को एनवायरमेंटल क्लियरेंस के बिना ही बनाया गया है। इसे लेकर ट्रिब्यूनल ने कुल 113 करोड़ का जुर्माना राज्य सरकार पर ठोका है। इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री और जमशेदपुर (पश्चिम) के विधायक सरयू राय ने ट्वीट कर जवाब मांगा है कि आखिर इतने बड़े जुर्माने की राशि कौन देगा?
हाई कोर्ट भवन पर 66 करोड़ फाइन
एनजीटी ने अपने आदेश में हाई कोर्ट भवन पर 66 करोड़ और विधानसभा भवन पर 47 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका है। गौरतलब है कि 2019 में झारखंड में विधान सभा चुनाव से पहले अधूरे विधानसभा भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करवाया गया था। सरयू राय ने अपने ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी है। उन्होंने ही इस बात का खुलासा किया है कि एनजीटी ने 113 करोड़ का भारी जुर्माना लगाया है। सरयू राय ने बुधवार को ट्वीट कर यह पूछा : हाई कोर्ट भवन पर 66 करोड़ और विधान सभा भवन पर 47 करोड़ रुपए का जुर्माना कौन देगा? संवेदक, सरकारी अफसर या जनता के टैक्स से बना राजकोष? उन्होंने इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले पर्यावरणविद डॉ आरके सिंह को भी बधाई दी है।
पूर्व मंत्री सरयू राय ने ट्वीट कर यह भी जानकारी दी है कि एनजीटी के आदेश के तहत जुर्माना के साथ ही बिना पर्यावरण स्वीकृति के भवन बनाने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत आपराधिक मुकदमा भी दर्ज होगा। उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन भवनों के निर्माण पर रोक रहेगी। सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का नाम लिये बगैर उनपर कटाक्ष करते हुए कहा कि अनियमित-अधूरा विधानसभा भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराने वाले क्या अपनी गलती मानेंगे? गौरतलब है कि 2019 में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ही विधानसभा के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करवाया था। हालांकि, उद्घाटन के बाद भी निर्माण कार्य जारी रखा गया था। बाद में विधानसभा का बजट सत्र इसी नए विधानसभा भवन में चला था।
आदेश पढ़ने के बाद टिप्पणी
बुधवार की शाम इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कुछ भी साफ-साफ कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि अभी उनके पास एनजीटी के आदेश की कॉपी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से ही मिली है। उन्होंने कहा कि जब फाइल उनके पास सारी आएगी, तब वे देखेंगे। आकलन होगा और सरकार क्या निर्णय लेती है, यह तभी बता पाएंगे, जब आदेश की कॉपी मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे हाईकोर्ट भवन हो या विधानसभा का भवन हो अथवा कोई और सरकारी भवन हो, निर्माण कार्य में किस-किस तरह का प्रावधान है और कहां एनजीटी के नियम लागू होते हैं, यह सब नियम प्रक्रिया में निहित है। सरकार एनजीटी के पत्र को देखेगी और फिर अपनी बात रखेगी।

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