रायपुर। हिंदू धर्म में तुलसी पूजा को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। माना जाता है कि जिस घर में तुलसी की पूजा होती है, वहां तुलसी का वास होता है और परिवार की सुख समृद्धि बनी रहती है। कार्तिक माह की एकादशी को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष तुलसी विवाह की खास पूजा 8 नवंबर को की जाएगी। ऐसी मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर मनाए जाने वाले तुलसी विवाह के आयोजन के दिन ही भगवान विष्णु चार माह की नींद से जागते हैं। तुलसी माता जो भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती हैं, उनका विवाह भगवान शालिग्राम से होता है। इसी दिन से विवाह संस्कार सहित सारे शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।
ग्यारस पर्व पूजन का शुभ मुहूर्त लाभ- प्रातः 8 बजे से 9 बजकर 24 मिनट। अमृत- 9 बजकर 24 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक। शुभ- दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 34 मिनट तक। चर – सायंकाल 4 बजकर 21 मिनट से 21 मिनट से 5 बजकर 44 मिनट तक। लाभ- रात्रि 8 बजकर 57 मिनट से रात्रि 10 बजकर 34 मिनट तक।गोधूलि बेला- शाम 5 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 47 मिनट तक। प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 22 मिनट से रात 7 बजकर 52 मिनट तक।
यदि दांपत्य जीवन में परेशानी आ रही है तो तुलसी विवाह का विशेष आयोजन करने से लाभ मिलता है। यदि विवाह में देरी हो रही है तो भी तुलसी विवाह से अड़चन दूर होने की संभावना बढ़ जाती है और अच्छे रिश्ते मिलते हैं।
तुलसी विवाह के दिन विष्णु की पूजा के दौरान कुछ पैसे उनके पास रख दें। उसके बाद यह पैसे अपने पर्स में वापस रख लें। आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
काम में सफलता के लिए इस दिन भगवान विष्णु को नारियल और बादाम चढ़ाने से रुके हुए कार्य पूरे करने में सहायता मिलती है। अटके हुए काम पूर्ण होने के साथ ही जीवन में सुख का आगमन भी होता है। मनोकामना की पूर्ति के लिए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी पूजन के दिन भगवान विष्णु को केसर मिले दूध से अभिषेक कराएं। उनके प्रसन्न होने से आपकी मनोकामना पूर्ति में मदद मिलेगी।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आप तुलसी विवाह के दिन प्रातः स्नान करके गायत्री मंत्र का जप करें। परिवार की सुख शांति बरकरार रखने के लिए हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार तुलसी पूजन के दिन जल्दी उठकर स्नानदि करके पूजा करनी चाहिए। साथ ही परिवार की सुख शांति के लिए प्रार्थना करें।