उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दिया गया है जो 10 दिसंबर तक रहेगा। डीएम अनुज कुमार झा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह फैसला रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर में चल रही सुनवाई के आखिरी दौर में पहुंचने के मद्देनजर लिया है। डीएम ने कहा कि चूंकि अगले महीने इस विवाद में फैसला आने की उम्मीद है, इसलिए शांति बनाए रखने के लिहाज से जिले में धारा 144 लागू करने का फैसला किया गया है।
17 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी सुनवाई की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट में की सुनवाई दशहरे की छुट्टी के बाद सोमवार से दोबारा शुरू होगी। बीते 6 अगस्त से ही चल रही सुनवाई में अब मुस्लिम पक्ष अपनी दलील रख रहे हैं जो 14 अक्टूबर तक चलेगी। मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की संविधान पीठ ने तय किया है कि 14 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष की दलील खत्म होने के बाद 15 और 16 अक्टूबर को हिंदू पक्षों को जवाब देने का मौका दिया जाएगा। फिर 17 अक्टूबर तक सुनवाई की सारी कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी।
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17 नवंबर तक अयोध्या केस में फैसला आने की उम्मीद
उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने की 17 तारीख तक 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर आखिरी फैसला आ जाएगा। 17 नवंबर को ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर भी होने वाले हैं जिनकी अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। बहरहाल, अयोध्या के डीएम ने कहा कि धारा 144 लागू करने का फैसला विभिन्न त्योहारी उत्सवों को ध्यान में रखकर भी लिया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर हो रही सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीन विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 अपीलों पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायामूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। इलहाबाद हाई कोर्ट ने चार अलग-अलग सिविल केस पर फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सभी तीन पक्षों, सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान, के बीच समान बंटवारे को कहा था।
समझें, क्या हैं धारा 144 के प्रावधान
डीएम सीआरपीसी की धारा 144 के तहत नोटिफिकेशन जारी करता है। इसके तहत यह प्रावधान किया गया है कि जिस इलाके में निषेधाज्ञा लागू की जाती है, वहां 5 या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते। साथ ही, हथियार लाने-ले जाने पर भी रोक लग जाती है। इस धारा का इस्तेमाल शांति कायम रखने के लिए किया जाता है। जब भी प्रशासनिक अधिकारी को अंदेशा हो कि इलाके में शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है तो यह धारा लगाई जा सकती है।
निषेधाज्ञा उल्लंघन पर गिरफ्तारी संभव
इसका उल्लंघन करने वाले को पुलिस धारा-107/151 के तहत गिरफ्तार करती है। गिरफ्तारी के बाद उसे इलाके के एसडीएम या एसीपी के सामने पेश किया जाता है। चूंकि यह अपराध जमानती है, इसलिए बेल बॉन्ड भरने के बाद आरोपी को रिहा करने का प्रावधान है। निषेधाज्ञा के उल्लंघन के मामले में पुलिस संदिग्ध को उठाकर किसी दूसरे इलाके में भी पहुंचा सकती है और जिस इलाके में निषेधाज्ञा लगी हो, वहां आने नहीं देती। धारा 144 किसी विशेष जिला, थाना या तहसील में लगाई जा सकती है।
हो सकती है जेल की भी सजा
निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले शख्स ने मैजिस्ट्रेट के सामने पेशी के दौरान अगर बेल बॉन्ड नहीं भरा तो उसे जेल भेज दिया जाता है। इस मामले में अधिकतम एक साल की कैद हो सकती है। निषेधाज्ञा के उल्लंघन के दौरान पुलिस कई बार आईपीसी की धारा-188 (सरकारी आदेश को न मानना) के तहत केस दर्ज करती है।
Source: Uttarpradesh