एफएटीएफ की अध्यक्षता फिलहाल चीन के पास है, जिसे पाकिस्तान के मित्र देश के रूप में देखा जाता है। सूत्रों ने कहा कि चिनफिंग और मोदी के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता के टेरर फाइनैंसिंग पर केंद्रित होने के बाद अब सबकी निगाहें चीन पर होंगी। चीन के शियांगमिन लिउ ने इसी साल की शुरुआत में अमेरिका के मार्शल बिलिंगस्ली से एफएटीएफ प्रेजिडेंट का पदभार ग्रहण किया था।
मामल्लपुरम में दो-दिवसीय वार्ता के अंत में मीडिया से बात करते हुए विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा, ‘दोनों लीडर्स में इस बात पर सहमति बनी है कि तेजी से जटिल होती दुनिया में आतंकवाद और कट्टरपंथ की चुनौतियों से निपटना काफी अहम है। दोनों ऐसे देशों के नेता हैं, जो क्षेत्रफल या आबादी के मामले में नहीं, बल्कि विविधता के मामले में भी बड़े हैं।’
जून में हुई एफएटीएफ बैठक में पाकिस्तान ने ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए जरूरी तीन वोट चीन, तुर्की और मलयेशिया से हासिल किए थे। हालांकि, टेरर फंडिंग को लेकर एफएटीएफ की एशिया पैसेफिक ग्रुप की ओर से जारी हालिया रिपोर्ट में पाकिस्तान का प्रदर्शन बेहद खराब था। अधिकारियों ने ईटी को बताया कि इससे एफएटीएफ की पूर्ण बैठक में भारत का केस मजबूत हुआ है।
पाक के प्रदर्शन को देखने के लिए 228 पन्नों की रिपोर्ट अहम पैमाना
मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर बने एशिया पैसेफिक ग्रुप (APG) ने हाल ही में पाकिस्तान में मनी-लॉन्ड्रिंग और टेरर-फंडिंग को लेकर अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। FATF-APG रिपोर्ट में ‘इफेक्टिवनेस ऐंड टेक्निकल कंप्लायंस रेटिंग्स’ के 10 और ‘टेक्निकल कंप्लायंस रेटिंग्स’ के 40 मापदंड थे। 10 इफेक्टिनेस रेटिंग्स में से 9 में पाकिस्तान का प्रदर्शन ‘कम’ और एक में ‘सामान्य’ पाया गया। वहीं, टेक्निकल कंप्लायंस के मापदंड पर पाकिस्तान को सिर्फ 1 में ‘पालन करने वाला’ पाया गया, जबकि 26 में ‘थोड़ा पालन करनेवाला’, 9 में ‘काफी हद तक पालन करने वाला’ और 4 में ‘कुछ भी नहीं पालन करनेवाला’ पाया गया। पाकिस्तान के प्रदर्शन को देखने के लिए 228 पन्नों की रिपोर्ट अहम पैमाना होगी।
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पाकिस्तान ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए
FATF-APG रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुछ हालिया कार्रवाई को छोड़ दें तो, पाकिस्तान ने UNSCR 1267 में दर्ज सभी व्यक्तियों और संगठनों, खासतौर से लश्कर-ए-तैयबा/ जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन और समूह के नेता हाफिज सईद के खिलाफ पाबंदियां लागू करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।’
Source: International