रायपुर । सनातन धर्म में दीपोत्सव पर्व के पांच दिन विशेष माने जाते हैं। जिसमें व्यक्ति के जीवन का संदेश छिपा है। यह पंच महापर्व धनतेरस के साथ शुरू होगा। इस दिन शुक्र प्रदोष और धन त्रयोदशी का महासंयोग भी बन रहा है।जिसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन पूजन और भाई दूज शामिल है। पर्व के लिए लोग उत्साह के साथ तैयारी कर बाजार में खरीददारी कर रहे हैं।निवेश, हिसाब-किताब, यम (पाप कार्य का स्मरण), कुबेर, (बचत व भंडारण), संपत्ति, पूंजी, पर्यावरण-प्रकृति पूजन व संबंधों की महत्ता से बद्ध पंच पर्व मनाए जाते हैं। इन सभी की प्रचुरता या उपलब्धता के उपरांत ही मानवीय जीवन की सफलता निश्चित होना है।कहा जाता है कि धनतेरस को आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा है। जिससे धन लाभ के रास्ते खुलते हैं। दीपावली पूजन से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के अंधेरे दूर होते हैं। मां श्री महालक्ष्मी की कृपा के लिए साधकों, व्यापारियों, विद्यार्थी तथा गृहस्थ का पालन करने वाले व्यक्ति को श्रीसूक्त, श्रीलक्ष्मीसूक्त, पुरुषसूक्त, राम रक्षा स्त्रोत, हनुमानाष्टक, गोपालशस्त्रनाम आदि अनुष्ठान, जप करवाना चाहिए। जिससे उसे मां लक्ष्मी की कृपा से वांछित फलों की प्राप्त होती है।धनतेरस 25 अक्टूबर को है। इस दिन शुक्र प्रदोष और धन त्रयोदशी का महासंयोग भी बन रहा है। यानी इस दिन ब्रह्म और सिद्धि दोनों का योग भी रहेगा। पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि कार्यालय एवं घर में पूजा के लिए उत्तम मुहूर्त शाम 6.12 बजे से 8.28 बजे तक है। इस दिन सुबह 12.25 से 20.12 बजे तक 3.45 से 5.16 बजे तक शाम 5.56 से 8.55 बजे तक एवं रात 10.25 से 33.37 तक धनत्रयोदशी पूजन का शुभ मुहूर्त लाभ, अमृत, चर एवं सिंह लग्न वृष लग्न में किया जाएगा।