नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अयोध्या राम जन्मभूमि मामले के हिंदू पक्षकारों में से एक निर्वाणी अखाड़ा को को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ यानी वैकल्पिक राहत का लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति दे दी ताकि वह सेवायत के तौर पर भगवान की पूजा का प्रबंधन करने के अधिकार की मांग कर सके। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एसए नजीर की पीठ के सामने निर्वाणी अखाड़ा के वकील जयदीप गुप्ता ने इस मामले का उल्लेख किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित नोट दाखिल करने के लिए दिए गए तीन दिन के समय की गलत गणना कर ली थी। लिहाजा अब वह सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में उसको दाखिल करने की अनुमति देने का अनुरोध करते हैं। उनकी अपील पर पीठ ने उन्हें मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति प्रदान कर दी।गौरतलब है कि निर्मोही अखाड़ा और उसका प्रतिद्वंद्वी निर्वाणी अखाड़ा दोनों भगवान राम के जन्मस्थान पर पूजा का प्रबंधन करने के अधिकार की मांग कर रहे हैं। निर्मोही अखाड़ा ने सेवायत के अधिकार की मांग करते हुए 1959 में इस बात का मुकदमा दायर किया था।