किसान संगठनों के आग्रह पर डॉ. त्रिपाठी फिर बने “आईफा” के राष्ट्रीय संयोजक

रायपुर। देश भर में कोरोना के कहर औऱ ल़ॉकडाउन की वजह से देश का हर तबका प्रभावित है. ऐसे में किसानों की स्थिति और दयनीय हो सकती है. सरकार द्वारा जो राहत के उपाय किये गये हैं, उसमें किसान हासिए पर है. ऐसे में देशभर के किसान संगठनों ने चिंता जताते हुए दबाव बनाया है कि किसान संगठनों के महासंघ ‘अखिल भारतीय किसान महासंघ’ (आईफा) किसानों की आवाज को बुलंद करें और इसके लिए सभी संगठनों ने आईफा के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी से पुनः राष्ट्रीय संयोजक पद संभालने की अपील की है.
उल्लेखनीय है कि बीते जनवरी में डॉ त्रिपाठी ने आईफा के राष्ट्रीय संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही लगातार किसान संगठनों का उन पर दबाव बन रहा था कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. इसके बाद डॉ त्रिपाठी ने एक अप्रैल से पुनः इस पद को संभाल लिया है.
भारतीय खाद्य व कृषि परिषद के अध्यक्ष डॉ एमजे खान ने डॉ त्रिपाठी द्वारा पुनः आईफा के राष्ट्रीय संयोजक पद संभालने का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में देश प्रतिकूल माहौल से गुजर रहा है ऐसे में सरकार और किसानों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हुए किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए डॉ त्रिपाठी जैसे किसान नेता की कमी महसूस की जा रही थी लेकिन अब जबकि उन्होंने अपना फैसला बदल दिया है तो यह किसानों और भारतीय कृषि के लिए एक अच्छी खबर है.
इसी तरह स्वर्णा हल्दी उत्पादक संघ, महाराष्ट्र के स्वपनिल कोकाटे ने कहा कि प्रादेशिक स्तर पर कई किसान संगठन है जो कि बेहतरीन काम कर रहे हैं लेकिन केंद्रीय स्तर पर कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो किसानों का दमदार प्रतिनिधित्व कर सके. डॉ त्रिपाठी उस कमी को पूरा करते थे और आगे भी करते रहेंगे.
उत्तर प्रदेश प्रगतिशील किसान संगठन के अतुल कृष्ण अवस्थी ने त्रिपाठी से अपील की है कि वर्तमान परिस्थितियों में व्यापक किसान हितों का ध्यान रखकर और किसान साथियों में ऊर्जा का संचार कर आईफा की जिम्मेदारी पुनः लेनी चाहिए. भारतीय लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह के अनुसार, देश में सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के कर्मियों का अपना संगठन है, जिसके बैनर तले वो अपने संस्थान तथा अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए बाध्य करते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश किसानों का कोई प्रभावशाली संगठन हिंदी पट्टी में नहीं है यही कारण है कि सरकारें किसानों की जरूरतों के प्रति लापरवाही दिखाती हैं. उन्होंने कहा कि डॉ त्रिपाठी द्वारा आईफा की जिम्मेदारी संभालने के बाद उम्मीद जगी है कि किसानों की आवाज अब मुखर होगी.
वेजीटेबल्स ग्रोवर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के श्रीराम गावड़े का कहना है कि इस कोरोना महामारी की वजह से सबसे ज्यादा सब्जी उत्पादक किसान प्रभावित हुए हैं. सप्लाई चेन बाधित होने से सब्जियां मंडियों तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पायी है औऱ ये सब्जियां खराब हो रही है. किसानों के इस नुकसान के प्रति सरकार का ध्यान दिलाने के लिए डॉ त्रिपाठी जैसे नेतृत्व की आवश्यकता महसूस की जा रही है.
इसी तरह, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह का कहना है कि ऐसे प्रतिकूल समय में एक ऐसे व्यक्ति की जरुरत महसूस की जा रही थी जो देशभर के प्रमुख किसान संगठनों के बीच एक आम राय बना सके और किसानों के मुद्दों को जोर-शोर से उठा सके. डॉ. त्रिपाठी द्वारा पुनः अपना पद संभालना किसान संगठनों को मजबूती देगा. मंसूर कमाल, डब्ल्यूडीआरए के पूर्व निदेशक डॉ एन के अरोड़ा, औषधीय तथा सुगंधीय कृषक संगठन, बिहार के अध्यक्ष जीएन शर्मा सहित देश के दर्जनों किसान संगठनों ने डॉ त्रिपाठी का स्वागत किया है.
इस मामले पर मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ त्रिपाठी ने कहा कि , भारतीय खेती तथा किसानों की दशा बेहद सोचनीय है, और ये किसान और किसान संगठन हमारे लिए अभिन्न है और इनकी ओर से जो अपनत्व भरा आग्रह मिला उसे अस्वीकार कर पाना मेरे लिए संभव नहीं था. आईफा अब नये तेवर और उत्साह के साथ काम करेगी. लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद इसकी राष्ट्रीय कार्यकारीणी का गठन किया जाएगा तथा जल्दी ही राज्य समितियों का भी गठन किया जाएगा ताकि किसानों की ग्रासरुट समस्याओं का समाधान शीघ्रता से किया जाए.
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सदस्यता अभियान चला कर आईफा से ज्यादा से ज्यादा संख्या में किसानों को जोड़ा जाएगा. ताकि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जा सके.

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