कोरबा. कोविद 19 कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर जेलों में निरूद्ध बंदियों की रिहाई के लिए कवायद तेज कर दी है. जिला जेल प्रबंधन ने दो सजायाफ्ता समेत 58 बंदियों को रिहा करने का प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिया है. इसी तरह कटघोरा उपजेल में बंद चार बंदियों का नाम मुख्यालय को भेजा गया है. कोर्ट से वैधानिक प्रक्रिया पूरी होते ही बंदियों की रिहाई शुरू हो जाएगी. देश में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने भारी एहतियात बरते जा रहे हैं. इससे बचाव के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया है. इस दौरान आम लोगों को सोशल डिस्टेंस समेत तमाम सावधानियां बरतने समझाइश दी जा रही है. चूंकि जेलों में कैदी व बंदी एक साथ भारी संख्या में होते हैं. उनके एक दूसरे के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बना रहता है. जिसे कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए अहम फैसले किए हैं. जिसके मुताबिक सात साल से कम सजा वाले कैदी व बंदियों को पैरोल पर रिहा किया जाना है. इसके लिए जेल प्रबंधन से बंदियों की सूची मंगाई गई थी. सूत्रों की मानें तो पूरे राज्य में 1500 बंदियों का नाम मुख्यालय को भेजा गया है. इसमें कोरबा जिले के जिला जेल व उपजेल के बंदी भी शामिल हैं. जिला जेल प्रबंधन ने कुल 58 बंदियों का नाम रिहाई के लिए मुख्यालय भेजा है. इसमें दो सजायाफ्ता कैदी शामिल हैं. इसी तरह कटघोरा उपजेल प्रबंधन ने भी चार बंदियों का नाम मुख्यालय को भेज दिया है. जेल प्रबंधन से प्राप्त नामों पर मुख्यालय में विचार विमर्श किया जाएगा. इसके साथ ही चयनित नामों की रिहाई के लिए कोर्ट से वैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी. यह प्रक्रिया पूरी होते ही जेल प्रबंधन बंदियों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी. बहरहाल इसकी तैयारी कर ली गई है. मामले में नवपदस्थ जेल अधीक्षक समेत अन्य अफसरों से चर्चा का प्रयास किया गया, लेकिन चर्चा नहीं हो सकी. जिला जेल प्रबंधन ने कुल 58 बंदियों की रिहाई के लिए नाम मुख्यालय को भेजा है. इसमें दो सजायाफ्ता शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार एक कैदी को छेड़छाड़ के मामले में एक साल की सजा काट रहा है. जबकि दूसरे को चेक बाउंस के मामले में एक वर्ष की कारावास हुई है. जानकारों की मानें तो जेलों में बंद सजायाफ्ता व विचाराधीन बंदियों की रिहाई पैरोल नियम के अनुसार होगी. खासतौर पर कैदियों को निर्धारित शर्त पर जेल से रिहा किया जाएगा. उन्हें संकट की स्थिति टलने के बाद जेल लौटना होगा. इसके साथ ही जेल से रिहा होने पर वे किसी अन्य क्षेत्र में घूम फिर नहीं सकेंगे.