जिंदगी मौत न बन जाए संभालो यारों , लाॅक डाउन में भी घर निकल रहे लोग

गाँव से ज्यादा शहर के लोग तोड़ रहे नियम
कोरबा.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने 14 अप्रैल तक देश भर में लॉकडाउन किया गया है. लोग जहां घरों में रहकर संक्रमण से बचने की कवायद कर रहे हैं. वहीं आवारा किस्म के लोग चौबीस घंटे ड्यूटी में लगे पुलिस व नर्सिंग स्टाफ की मेहनत पर पानी फेरने में जुटे हुए हैं. इस लापरवाही के मामले में ग्रामीणों से ज्यादा शहर जन आगे हैं. संक्रमण के खतरे को देखते हुए गांवों में जहां पूर्ण लॉकडाउन कर दिया गया है. वहीं शहर में लोग भीड़ लगाने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. सोशल डिस्टेंस का पालन करने में लोग कोताही बरत रहे हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण एक दूसरे को छूने, छिंकने व अन्य शारीरिक संपर्क से फैल सकता है. जिसे देखते हुए मास्क लगाने, बार बार सेनेटाइज करने व हाथ धोने सहित सोशल डिस्टेंस रखने के निर्देश दिए जा रहे हैं. इसे लेकर देश भर में लॉकडाउन भी किया गया है. शहर में लॉकडाउन का पालन जहां पूरी तरह से नहीं हो रहा है. वहीं गांवों के लोग गांवों को पूरी तरह लॉकडाउन कर मिसाल पेश कर रहे हैं. कहा जाता है कि गांवों के लोग शहर के लोगों की अपेक्षा कम पढ़े लिखे होते हैं, लेकिन कोरोना के संक्रमण से बचाव के मामले में उनकी जागरूकता शहरी लोगों से कहीं ज्यादा अच्छी नजर आ रही है. शहर में लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों से पुलिस भी खासा परेशान है. कई लोगों को अपमानजनक तख्ती पकड़ाकर फोटो खींचने व उठक बैठक कराने के बाद भी नहीं सुधर रहे हैं. कोरोना के संक्रमण को देखते हुए सेंदरी दफाई एक नंबर में ग्रामीणों ने पूरी तरह से बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. बस्ती को पूरी तरह से सेनेटाइज कराने के बाद स्थानीय लोगों ने मोहल्ले में प्रवेश किए जाने वाले मार्गों में बेरिकेट्स लगा दिया है. इसी तरह अन्य गांवों में भी ग्रामीणों ने ऐसी पहल की है. बांकीमोंगरा अंतर्गत जेठू दफाई में एक व्यक्ति हैदराबाद से लौटा है. जिसकी सूचना पर घर को क्वारेंटाइन किया गया है. एक बस्तीवासी ने बताया कि लोगों के पास मास्क व सेनेटाइजर के व्यवस्था नहीं है. जिसे लेकर उनके मन में भय है. हालांकि बस्ती को सेनेटाइज किए जाने की प्रक्रिया की जा रही है.

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