जिले में बढ़ती बेरोजगारी बनी चिंता का विषय

बालोद। 8 साल पहले दुर्ग से अलग होकर बालोद नया जिला बना। सर्वाधिक माइनिंग होने से प्रदेश के राजस्व में सर्वाधिक योगदान भी यह जिला कर रहा है, इसके बाद भी यहां औद्योगिक इकाईयां नहीं खुल रही है। इकाई के नाम पर एक शक्कर कारखाना है। दूसरा कारखाना डौंडी में खुलवाए जाने की मांग पिछले दस साल से कर रहे है, इसके बाद भी यहां शक्कर कारखाना नहीं खुला। रोजगार पर शिक्षा देने को यहां संस्थान जरूर है पर इकाई न होने से यहां बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
छतीसगढ़ में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. बालोद को दुर्ग जिले से अलग इसलिए किया गया था कि इसका बेहतर विकास हो सके लेकिन हकीकत कुछ और ही है. बालोद जिले में अब तक एक लाख 60 हजार बेरोजगार पंजीकृत है,
बालोद जिले में एक लाख 60 हजार बेरोजगार
जिले में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.बालोद जिले में अगर आंकड़ों की बात की जाए तो अब तक एक लाख 60 हजार बेरोजगार पंजीकृत है, जिसमें से एक लाख एक हजार 632 महिला और 59 हजार 183 पुरूष शामिल है.
जिले में भूपेश सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान जिले में 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी, जिसका अब तक कोई पता नहीं है. वहीं रोजगार विभाग लगातार कैंप लगाकर रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाने की बात कर रहा है.
जिले में बेरोजगारी की समस्या को लेकर दोनों ही पार्टियां राजनीतिक रोटियां सेकने में लगी हुई है. बीजेपी 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने की बात को लेकर कांग्रेस पर लगातार आरोप लगा रही है कि उन्होंने बेरोजगारों के साथ छल किया है. जिले के बेरोजगारों के साथ भूपेश सरकार ने ठगी की है.
कांग्रेस ने पूर्व सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस पूर्व की सरकार पर निशाना साधने में लगी है. उनका कहना है कि बीजेपी ने जो बेरोजगारी दूर किए जाने का वादा किया था, वो अब तक पूरा नहीं कर पाई है. साथ ही कांग्रेस नेता का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने जो वादा किया है वह जल्द ही पूरा करेगी. सरकार रोजगार देने के लिए बहुत से उद्योग स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है. सत्ता के सूबेदार बदले लेकिन बेरोजगारी का आलम आज भी है. राजनीतिक पार्टियां केवल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं. अब देखना होगा कि सरकार बेरोजगारों के लिए क्या कदम उठाती है.
कृषि में रोजगार की अपार संभावनाएं लेकिन युवाओं का नहीं लग रहा मन
बालोद जिला कृषि आधारित है इसके बाद भी यहां युवा खेती को कम अपना रहा है। उसका मन नहीं लग रहा है। नौकरी की सुरक्षा क्षेत्र में रोजगार संबंधी जागरुकता और उद्यमशीलता की कमी के कारण युवाओं का रुझान खेती में घटा है। हालांकि 31 से 35 साल के आयुवर्ग ने इस क्षेत्र के प्रति काफी रूचि दिखाई है और संभवतः इसकी वजह यह है कि वे तब तक खेती के लिए जरूरी कौशल और जानकारी हासिल कर लेते हैं। अध्ययन के अनुसार भारतीय किसान खेती करने में तेजी से मशीन को अपना रहे हैं और सरकार ने भी बजट में इस क्षेत्र पर बौछार कर दी है, इसके बाद भी बालोद में उसका असर नहीं दिख रहा है।

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