भोपाल। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन FGM पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में जननांगों का खतना को लेकर गहरी चिंता प्रकट की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे महिलाओं की सेहत पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए दुनिया भर में 14 अरब डॉलर का बोझ पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल 20 करोड़ से अधिक महिलाओं और बच्चियों को इसका सामना करना पड़ता है। आमतौर पर ऐसा जन्म से 15 वर्ष के बीच किया जाता है और इसका उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है, जिसमें संक्रमण, रक्तस्राव या सदमा शामिल है। इससे ऐसी असाध्य बीमारी हो सकती है, जिसका बोझ जिंदगी भर उठाना पड़ता है। कई देश अपने कुल स्वास्थ्य व्यय का करीब 10 फीसद हर साल फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के इलाज पर खर्च करते हैं। कुछ मध्य एशिया या अफ्रीकी देशों में यह आकंड़ा 30 फीसद तक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के यौन, प्रजनन स्वास्थ्य व अनुसंधान विभाग के निदेशक इयान आस्क्यू ने कहा कि FGM न सिर्फ मानवाधिकारों का भयानक दुरुपयोग है, बल्कि इससे लाखों लड़कियों और महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उल्लेखनीय नुकसान पहुंच रहा है। इससे देशों के कीमती आर्थिक संसाधन भी नष्ट हो रहे हैं।