घर-घर ढूंढा मानसिक रोगी

250 घरों का सर्वे कर मानसिक विकारों से ग्रसित लोगों की हुई पड़ताल
धमतरी जिला मानसिक स्वास्थ्य की अनूठी पहल
धमतरी। मनोरोग कोई अभिशाप नहीं है बल्कि सामान्य शारीरिक रोगों की तरह ही एक मानसिक अस्वस्थता है, जो समय पर इलाज कराने पर ठीक हो सकती है। समाज में लाख कोशिशों के बाद भी आज मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्ति को पागल ही समझा जाता है। लेकिन समाज की इस मिथ्या को धमतरी जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अधिकारियों ने तोड़ा है। एक अनूठी पहल करते हुए जिले में घर-घर भ्रमण कर मानसिक रोगों से ग्रसितों की पड़ताल जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कि गई।
मनोचिकित्सक मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. सुचिता गोयल के अनुसार जिले में मनोरोग या मानसिक अस्वस्थता से पी़डि़तों को खोजने के लिए अप्रैल 2019 से जून 2019 तक घर-घर भ्रमण किया गया था। जिले के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के घरों में सर्वे कर विभिन्न मानसिक विकारों से ग्रसित लोगों की पहचान की गई थी। इस दौरान 250 घरों का भ्रमण किया गया जिनमें लगभग 100 मानसिक रोगियों की पहचान हुई। जिनमें बच्चों से लेकर उम्रदराज लोग भी शामिल थे, इन्हें बेहतर इलाज के जिला अस्पताल और स्पर्श क्लीनिक रेफर किया गया। वहीं जिन्हें काउंसिलिंग की जरूरत थी उन्हें काउंसिलिंग भी दी जा रही है।
ज्यादातर नशाखोरी और अवसाद ग्रसित – जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम नोडल अधिकारी डॉ. जे.एस. खालसा के मुताबिक डोर टू डोर सर्वे में कुल 250 घरों का भ्रमण किया गया। टीम द्वारा इस दौरान प्रत्येक घर के लोगों की जानकारी ली गई। साथ ही उन्हें मानसिक बीमारियों के बारे में भी बताया गया। सर्वे के दौरान एक प्रश्नावली तैयार कर उसके आधार पर प्रत्येक घर के लोगों की मानसिक स्थिति का आंकलन किया गया। डॉ. खालसा के अनुसार इस दौरान ज्यादातर मरीज नशाखोरी की वजह से अवसाद , तनाव से ग्रस्त मिले वहीं बच्चों में भी एन्गजाइटी या मानसिक रोग देखने को मिली।
जागरूकता ने बढ़ाई ओपीडी में संख्या- सीएमएचओ धमतरी डॉ. डी.के. तुर्रे ने बताया जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के संचालन के बाद से लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। यही वजह है कि जिला अस्पताल के ओपीडी में विभिन्न तरह की मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है। प्रति सप्ताह मानसिक स्वास्थ्य की ओपीडी लगती है जिसमें औसतन 40-45 व्यक्ति तनाव, अवसाद, अनिद्रा जैसी मानसिक बीमारियों से पीडि़त होते हैं।
800-850 प्रतिमाह पहुंच रहे अस्पताल- डॉ. जे.एस. खालसा जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम नोडल अधिकारी ने बताया प्रदेश में 2014-15 में जब मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू हुआ था तब केवल 11 जिलों में उक्त कार्यक्रम संचालित हो रहे थे। इनमें धमतरी 11 वां जिला था। मगर अब स्थिति यह है कि जिले में मानसिक रोग विशेषज्ञ भी हैं और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोग जागरूक होकर अस्पताल भी पहुंच रहे हैं। यही वजह है कि ओपीडी में भी मानसिक बीमारों की संख्या में इजाफा हुआ है। हालात यह है कि एक माह में विभिन्न मानसिक बीमारियों से पीडि़त लगभग 800 से 850 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिनका इलाज जिला अस्पताल, स्पर्श क्लीनिक और अन्य काउंसिलिंग के माध्यम से किया जा रहा है। डॉ. खालसा के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रति जागरूकता की वजह से लोग अब मानसिक बीमारी को छुपाते नहीं बल्कि उसका इलाज करवा रहे हैं।

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