भागवत का महत्व जाने तभी आपको भागवत सुनने का फल मिलेगा -त्रिभुवन महाराज

धमतरी। शिवाजी नगर रुद्री रोड गोकुलपुर में 8 दिसंबर से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन लता यशवंतराव पदम वार एवं परिवार के द्वारा आयोजित किया गया है। कथा व्यास पर ब्रह्मलीन संत पवन दीवान के कृपा पात्र शिष्य पंडित त्रिभुवन महाराज जी विराजित है। कथा का समय दोपहर 1 बजे से 5 बजे तक है एवं पूजा एवं परायण का समय सुबह 7 बजे से 9 बजे तक संपन्न किया जा रहा है। कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ बाजे गाजे के साथ किया गया कलश यात्रा के पश्चात देव आवाहन एवं परीक्षित कथा व्यास पूजन के साथ कथा महात्मा बताया गया। व्यासपीठ पर विराजित पंडित त्रिभुवन महाराज ने कहा कि भागवत का महत्व पहले जाने तभी आपको भागवत सुनने का फल मिलेगा और भागवत के प्रति मन में श्रद्धा का भाव आएगा। उन्होंने कहा कि पूरे 18 पुराणों में श्रीमद् भागवत महापुराण कहां गया है बाकी पुराणों को सिर्फ पुराण ही कहा गया है। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि भागवत में भ से भक्ति ग से ज्ञान एव से वैराग्य त से तप इन चार शब्दों से भागवत बना है और जो व्यक्ति भागवत सुनता है उनके जीवन में यह चारों चीज आता है जिसे जीवन भर पालन कर पूर्ण किया जा सकता है। भागवत का महत्व बताते हुए कहा कि भारत भूमि पुण्य भूमि है जहां भगवान श्री रामकृष्ण,बुद्ध शिवाजी वीर पैदा हुए और उन्होंने संस्कृति सभ्यता के लिए पूरे विश्व में जाने गए। उन्होंने आगे कथा बताते हुए अजामिल चरित्र, प्रहलाद और नरसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि जीवन में नाम का बड़ा महत्व है नाम से ही अजामिल जैसा पापी तर गया है। आज लोग बिना सोचे समझे पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भाग रहे हैं और अर्थ का अनर्थ करते जा रहे हैं। इसे हम सब चिंतन करें और विचार करें कि जो उत्कृष्टता भारतीय संस्कृति में है वह कहीं भी नहीं है। आज हम कोई भी तीर्थ स्थान में जाए तो विदेश के लोग आकर यहां वेदों का अध्ययन कर रहे हैं। आप कभी वृंदावन जाएंगे तो विदेशी भक्त लगातार महामंत्र का जाप करते हुए कहीं पर भी मिल जाएगा तो आज हम भारतीय संस्कृति को अपनाएं। उन्होंने नाम की महिमा बताते हुए कहा कि सिर्फ नाम के ही कारण सेतुबंध के समय पत्थर तैर गया राम नाम से पत्थर तैरे राम नाम से सागर ठहरे ,उन्होंने कहा कि अजामिल सिर्फ इसलिए भवसागर पार कर लिया क्योंकि उन्होंने अपने छोटे पुत्र का नाम नारायण रखा, आज हम धार्मिक विषयों पर किसी पर कुछ भी टिप्पणी कर देते हैं, किंतु इनका चिंतन करें तो इनका सकारात्मक परिणाम जीवन में आता है। उन्होंने कहा कि भागवत सुनने से जीवन में संस्कार आएंगे और उसका लाभ सभी उम्र को मिलता है। क्योंकि इनका पालन करने से जीवन कैसे जिए यह सीखने को मिलता है । साथ में उन्होंने कहा कि आज के परिस्थिति में लोग यह सोचते हैं कि अधिक उम्र में भक्ति की जाए, किंतु यह संभव नहीं है इसलिए कम उम्र में भक्ति प्रारंभ की जाए उतना ही जीवन के लिए उत्तम है। क्योंकि ध्रुव, भक्त प्रह्लाद आदि ने कम उम्र में ही ईश्वर को पाया है। इसकी तुलना में अगर हम अन्य से करें तो बाकी लोगों ने तो लंबे समय से ही भक्ति की तब ईश्वर के साक्षात्कार हुए किंतु इन्होंने कम उम्र में ही ईश्वर की प्राप्ति की है एइसका एक बड़ा कारण है कि बचपन एक सहजए सरल एमाया मोह एवं राग एद्वेष से दूर होता हैए इसलिए उन्होंने ब’चों एवं युवकों को भक्ति से जुडऩे की अपील की और जीवन के लिए एक स्वयं नियम बनाएं और उस पर चलें एउन्होंने नरसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान हर जगह विराजित हैं उन्हें हमें देखने और समझने की जरूरत है उन्होंने कहा कि जो आत्मा एक चींटी में होता है वही आत्मा हाथी में होता है एइसलिए हम सब दृष्टिकोण बदले और ईश्वर को हर जगह दिखे इसके लिए उदाहरण है जिसके माध्यम से लोगों को ईश्वर का एहसास होता है किंतु कई वजह से लोग उस एहसास को नकारने का प्रयास करते हैं एमहाराज जी द्वारा विशेषकर छत्तीसगढ़ी संस्कृति से संबंधित एवं दोहे चौपाई के माध्यम से लोगों कथा सुनाते हैं जिससे लोगों का काफी आकर्षण बना हुआ है सुनने के लिए पूरे नगर के लोग पहुंच रहे हैं।

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