फोरम ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर लगाया 20 हजार रुपये हर्जाना

बीमा कंपनी ने मेडिकल अनफिट क्लेम में की कठौती
दुर्ग। समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमाधारक के सडक़ दुर्घटना में घायल होने पर उसे अनफिट रहने की पूरी अवधि का बीमा दावा ना देते हुए आंशिक दावा भुगतान किए जाने को दुर्ग जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने सेवा में निम्नता मानते हुए 20800 रुपये मय ब्याज हर्जाना लगाया।
क्या है मामला
मरोदा सेक्टर निवासी लाल साय वर्मा छत्तीसगढ़ सहकारी साख समिति मर्यादित का सदस्य है, इस समिति द्वारा अपने समस्त सदस्यों को समूह दुर्घटना बीमा योजना की पॉलिसी दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से जारी करवाई गई थी। परिवादी लालसाय वर्मा भी समिति का सदस्य था। 22 मार्च 2017 को सडक़ दुर्घटना घायल होने से परिवादी को चोटें आई, जिसका इलाज उसने सेक्टर 9 हॉस्पिटल में भर्ती होकर कराया था। दुर्घटना के कारण परिवादी के चेहरे में गंभीर चोट लगने से परिवादी को अस्पताल में ईएनटी विभाग में 22 मार्च 2017 को भर्ती किया गया जहाँ उसके चेहरे और दांतों का इलाज 30 मार्च 2017 तक चला एवं विभाग के द्वारा 22 से 30 मार्च 2017 तक 9 दिन का अनफिट प्रमाण पत्र परिवादी को प्रदान किया गया। इलाज के दौरान ही परिवादी को 28 मार्च 2017 को कंधे में दर्द की शिकायत होने से 28 मार्च 2017 को हड्डी रोग विशेषज्ञ द्वारा जाँंच कराई तो संबंधित चिकित्सक ने एक्सरे की सलाह दी, 30 मार्च 2017 को कंधे कॉलर बोन में फ्रै क्चर निकला तब चिकित्सक ने परिवादी को 4 सप्ताह के पूर्ण विश्राम बेड रेस्ट की सलाह दिया, इस प्रकार हड्डी रोग विशेषज्ञ ने 31 मार्च 2017 से 6 मई 2017 तक का अस्वस्थता प्रमाण पत्र प्रदान किया इस प्रकार परिवादी 22 मार्च 2017 से 6 मई 2017 तक कुल 46 दिन पूर्णत: अस्वस्थ रहा। लेकिन बीमा कंपनी द्वारा उसे मात्र 9 दिन का ही दावा स्वीकृत कर 3424 रुपये भुगतान किया गया शेष 37 दिन अनफिट होने की दावा राशि 14800 रुपये का भुगतान नहीं किया गया।
अनावेदक बीमा कंपनी का बचाव
परिवादी को दुर्घटना के बाद डॉक्टर द्वारा 22 से 30 मार्च 2017 तक अस्वस्थता प्रमाण पत्र दिया गया था। परिवादी को 31 मार्च 2017 को फिट सर्टिफि केट दिया गयाए उसी के आधार पर परिवादी को क्लेम भुगतान 3424 रुपये 29 अगस्त 2017 को किया जा चुका है। परिवादी को दुर्घटना 22 मार्च 2017 के लिए डॉक्टर द्वारा फि ट सर्टिफि केट 31 मार्च 2017 को दिया गया फि र उसी दिनांक को दुर्घटना दिनांक के लिए परिवादी द्वारा अनफि ट प्रमाण पत्र 31 मार्च 2017 से 6 मई 2017 तक दिया गया एवं डॉक्टर द्वारा परिवादी को 7 मई 2017 को फि ट प्रमाण पत्र दिया गया। परिवादी को 31 मार्च 2017 को फि ट प्रमाण पत्र एवं उसी 31 मार्च 2017 को अनफि ट प्रमाण पत्र डॉक्टर द्वारा दिया गया है। एक बार डॉक्टर ने फि ट प्रमाण दे दिया हो फिर उसी दिनांक से अनफि ट प्रमाण पत्र दिया जाना कैसे संभव है।
फोरम का फैसला
परिवादी एवं अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा प्रकरण में पेश किए गए दस्तावेजों एवं तर्कों के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह पाया कि परिवादी के मेडिकल दस्तावेज ओपीडी रिकॉर्ड में सेक्टर 9 हॉस्पिटल में परिवादी के कंधे का एक्स.रे और 30 मार्च 2017 से निरंतर 06 मई 2019 तक कराया जाना भी प्रमाणित है इससे यह सिद्ध होता है कि परिवादी कुल 46 दिनों तक पूर्णत: अस्वस्थ रहा। बीमा कंपनी इस प्रश्न पर मौन रही कि जब मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार परिवादी के कंधे में फ्रै क्चर होना प्रमाणित है तो फि र हड्डी का ऐसा गंभीर फ्रै क्चर सिर्फ 8 दिनों के अल्प समय में ही कैसे ठीक हो सकता है और व्यक्ति मात्र 8 दिन में ही कैसे फि ट हो सकता है इस कारण अनावेदक बीमा कंपनी के खिलाफ यह निष्कर्ष निकाला गया कि उसने परिवादी के मेडिकल दस्तावेजों को गहनता से देखे बिना ही आंशिक भुगतान कर दिया जो कि सेवा में निम्नता का स्पष्ट परिचायक है। यह भी प्रमाणित हुआ कि परिवादी के दोनों अनफि ट प्रमाणपत्र एक ही दुर्घटना से मिली चोटों के परिणामस्वरूप कराये गए इलाज से संबंधित है जो कि निरंतरता में है। इस कारण अनावेदक बीमा कंपनी को सम्पूर्ण दावा राशि भुगतान करने की उत्तरदायी है।
जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर 20800 रुपये हर्जाना लगाया जिसमें दावा राशि 14800 रुपये, मानसिक परेशानी के एवज में क्षतिपूर्ति 5000 रुपये तथा वाद व्यय 1000 रुपये परिवादी को अदा करने का आदेश पारित किया, साथ ही 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *