कोंडागांव। भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के एक दल ने आज कोंडागांव स्तिथ मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म का अवलोकन किया और यहां की खूबियों को समझा। पांच सदस्यीय इस दल में भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय के अतिरिक्त डेवलपमेंट कमिश्नर आनंद शेर खाने के अलावा छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय इकाई के निदेशक राजीव, पनीर सेल्वम , मनोज तथा योगेश सिंह शामिल थे।
अधिकारियों के इस दल ने आज पूरा दिन “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म” पर ही बिताया। इस दौरान उन्होंने 25 दुर्लभ तथा विलुप्तप्राय प्रजातियों के अनूठे वनौषधि उद्यान,
काली मिर्च, आस्ट्रेलियन टीक, हल्दी, सफेद मूसली, स्टीविया के खेतों पर समय बिताकर न केवल इसकी बारीकियां समझीं बल्कि इनके अर्थशास्त्र को भी जांचा परखा। अधिकारी यह देखकर हैरान भी हुए की क्या एक एकड़ खेत से पच्चीस लाख रुपए से भी अधिक मूल्य की काली मिर्च पैदा की सकती है। इसके अलावा केंचुए , दीमक तथा मकड़ी से खेती में होने वाले फायदों को देखकर वे दंग रह गए। इसी बीच महाराष्ट्र तथा जगदलपुर के भी प्रगतिशील किसान क्षेत्र भ्रमण पर यहाँ पहुंचे। दिल्ली के दल ने उनसे भी इस सम्बंध में जानकारी ली।
मां दंतेश्वरी हर्बल फॉर्म के निदेशक एवं किसान संगठन आइफा के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने दिल्ली के दल को हर्बल खेती की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती के इस मॉडल का देश के किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिये जल्द ही दिल्ली में कार्य योजना बनाई जाएगी। गौरतलब है कि डॉ राजाराम त्रिपाठी को हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में ‘कृषि उद्यमी अवार्ड’ से नवाजा गया है। उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान कृषि के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए अभिनव प्रयोगों के कारण दिया गया है।
जैविक और औषधीय खेती के फायदे देखने के बाद भारत सरकार के उद्यम मंत्रालय के अतिरिक्त विकास आयुक्त श्री आनंद (आईईएस ) ने अपने लिखित सन्देश में कहा कि “डॉ राजाराम त्रिपाठी और उनके सहयोगियों के साथ आज फार्म पर बिताया गया समय उनके जीवन का अब तक का सबसे कीमती तथा महत्वपूर्ण समय रहा है।”
इस दल को हर्बल खेती के विभिन्न पहलुओं पर डॉ त्रिपाठी के अलावा मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की शिप्रा त्रिपाठी ,अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम, कृष्ण कुमार पटेरिया तथा शंकर नाग ने जानकारियां प्रदान की। दिल्ली से आए हुए दल ने मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया की तथा काली मिर्च के रोपण के द्वारा पाली हाउस का विकल्प तैयार करने के सिद्धांत पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही ऑस्ट्रेलियन ठीक के द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण के जरिए जमीन की उर्वरता बढ़ाने तथा उत्पादन वृद्धि के जैविक तरीकों को भी समझा।
उन्होंने जैविक खेती की नई पद्धति का प्रशिक्षण देश के अधिक से अधिक किसानों को दिए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा दिल्ली लौटकर इस संबंध में एक ठोस कार्य योजना तैयार करने का आश्वासन भी दिया।
कार्यक्रम के अंत में मां दंतेश्वरी हर्बल स्टेट परिषद द्वारा प्रकाशित जनजातीय सरोकारों की पत्रिका ककसाड़ के नवीनतम अंक को अतिथियों को भेंट किया गया। इस अवसर पर डॉ त्रिपाठी ने अपनी कविता संग्रह “मैं बस्तर बोल रहा हूं” के अंग्रेजी अनुवाद “यस इट इट बस्तर स्पीकिंग” पुस्तक की प्रतियां भी अतिथियों को भेंट की।
कार्यक्रम के अंत में मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की ओर से शिप्रा तजी तथा अनुराग जी ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया ।