दुर्ग। डेवलपर ने परिवादी को अंधेरे में रखकर विवादित भूखंड की बुकिंग करने के बाद वायदे के अनुसार संपूर्ण विकास कार्य नहीं किया और रकम वापस मांँगे जाने पर रकम भी वापस नहीं की। अनावेदक के इस कृत्य को व्यवसायिक कदाचरण और सेवा में निम्नता मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने संस्थान के संचालक पर 2.86 लाख रुपये मय ब्याज हर्जाना लगाया।
क्या है मामला
बम्लेश्वरी कॉलोनी बोरसी दुर्ग के निवासी टोमन लाल साहू ने ग्राम सांकरा नेशनल हाईवे जिला राजनांदगांँव स्थित बालाजी ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट के नाम से अखबार में प्रकाशित विज्ञापन देखकर संबंधित संस्थान एक्टिव ग्रोथ आईएनसी के संचालक विशाल नायडू से संपर्क किया और भूखंड बुक करायाए जिसके एवज में परिवादी द्वारा अनावेदक संस्थान के संचालक को कुल रु. 275610 का भुगतान किया गया किंतु अनावेदक संस्थान द्वारा भूखंड बुकिंग के संबंध में परिवादी के साथ कोई अनुबंध निष्पादित नहीं किया बल्कि बुकिंग दिनांक से 3 माह के भीतर संपूर्ण विकास कार्य पूरा कर भूमि का अधिपत्य प्रदान करने का वचन दिया। नियत अवधि में संतोषप्रद विकास नहीं होने पर परिवादी ने अनावेदक के संबंध में पतासाजी की तब पता चला कि, अनावेदक संस्थान का प्रोजेक्ट विवादित है तथा भूमि के संबंध में राजनांदगांँव न्यायालय में भी विवाद लंबित है तत्पश्चात परिवादी ने अपनी जमा की गई राशि रु.275610 की मांँग की जिसे अनावेदक संस्था के संचालक विशाल नायडू द्वारा वापस करने का विश्वास दिलाते हुए चार माह तक गुमराह किया और अंत में 9 जनवरी को भारतीय स्टेट बैंक का चेक परिवादी को प्रदान किया जो कि, अनादरित हो गया, इसके बाद परिवादी द्वारा अनावेदक से संपर्क करने पर अभद्र व्यवहार करते हुए रकम अदायगी से इंकार कर दिया गया, जिसके बाद परिवादी ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली। फोरम ने अनावेदक की उपस्थिति के लिए उसे नोटिस जारी किया गया, इसके बाद अखबार में उपस्थिति हेतु नोटिस प्रकाशित हुआ लेकिन अनावेदक प्रकरण में अनुपस्थित रहा एवं उसकी ओर से कोई जवाब भी पेश नहीं किया गया, इस कारण उसके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई।
प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर यह प्रमाणित हुआ कि, परिवादी ने अनावेदक को भूखंड की बुकिंग के लिए रु. 275610 अदा किए थे। जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने अनावेदक पर रु.286610 हर्जाना लगाया, जिसमें मूल राशि रु. 275610, मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु.10000 तथा वाद व्यय रु.1000 अदा करने का आदेश दिया। उक्त राशि पर 14 अप्रैल 2018 से 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी अलग से देना होगा।