पहले चरण का मतदान जारी, 38 सीटों पर 173 उम्मीदवार ठोंक रहे ताल

इंफाल। मणिपुर की 60 में से 38 विधानसभा सीटों पर सोमवार को मतदान शुरू हो गया है। पहले चरण में 173 उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रमुख उम्मीदवारों में हिंगांग से सीएम एन बीरेन सिंह, सिंगजामेई से स्पीकर वाई खेमचंद सिंह, उरीपोक से डिप्टी सीएम युमनाम जॉयकुमार सिंह और नंबोल से राज्य कांग्रेस प्रमुख एन लोकेश सिंह शामिल हैं। राज्य में इस बार सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा) को निरस्त करने की मांग और नौकरियां प्रमुख मुद्दों में हैं।
अफस्पा “अशांत क्षेत्रों” में सक्रिय सुरक्षा बलों को तलाशी लेने, जब्त करने, बिना वारंट के गिरफ्तारी करने और केवल संदेह के आधार पर हथियारों का उपयोग करने का अधिकार देता है। 4-5 दिसंबर की हिंसा के बाद राज्य से अफस्पा को निरस्त करने की मांग तेज हो गई है। 4-5 दिसंबर को नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग में एक सैन्य यूनिट के असफल ऑपरेशन में 14 नागरिक मारे गए थे। सेना और केंद्र का कहना है कि सेना की यूनिट से नागरिकों को पहचानने में गलती हुई। कोयला खदान से लौट रहे लोगों को विद्रोही समझ लिया गया।
राज्य से अफस्पा हटाने की मांग चुनावी मुद्दा
मणिपुर को सितंबर से “अशांत क्षेत्र” घोषित किया गया है और इम्फाल के नगरपालिका क्षेत्रों को छोड़कर राज्य में अफस्पा लागू है। 2017 से सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में कथित ज्यूडिशियल हत्याओं के 1528 मामलों पर दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि पिछले पांच वर्षों में ऐसी लगभग 200 और मौतों की आशंका है। एक्टिविस्ट इरोम शर्मिला चानू ने कानून को निरस्त करने की मांग को लेकर 16 साल का अनशन किया था।
मणिपुर में बेरोजगारी दर 9.5%, रोजगार की मांग
केंद्रीय श्रम मंत्रालय के पिछले साल संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, मणिपुर में बेरोजगारी दर 9.5 फीसदी है। यह नागालैंड के बाद पूर्वोत्तर में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। कोविड-19 महामारी ने राज्य में रोजगार को और प्रभावित किया, जिसमें कई लोगों की नौकरियां चली गईं और व्यवसायों में नुकसान हुआ। वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार प्रदीप फंजौबम ने कहा कि बेरोजगारी इस बार सबसे प्रमुख मुद्दा है। राज्य भर में कई लोग प्रभावित हैं। नौकरियों के मुद्दे पर जनता के बीच बहुत सारी टीवी बहसें और चर्चाएं भी हुई हैं।
कांग्रेस ने हर साल 50,000 नौकरियां देने का किया वादा
इस मुद्दे को राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में भी प्रमुखता मिली है। विपक्षी कांग्रेस ने हर साल 50,000 नौकरियों के सृजन और सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का वादा किया है। लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी रोजगार सृजन पर चुप दिखाई देती है।

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