जीवन में शांति की चाहना है तो आत्मा को जानना होगा-उर्मिला दीदी

खुशी या तनाव स्वयं का चुनाव शिविर प्रथम दिवस
धमतरी। ब्रह्माकुमारीज धमतरी तत्वाधान में दिनंांक 23 नवम्बर से 27 नवम्बर 2019 तंक पांच दिवसीय तनाव मुक्ति शिविर के प्रथम दिवस स्वंय की अनुभूति विषय पर अपने संबोधन में ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी ने कहा कि जैसे कस्तुरी प्राप्ति के लिए मृग की पहचान आवश्यक है वैसे ही जीवन में शांति की चाहना है तो आत्मा को जानना होगा। विज्ञान ने शरीर के सारे अंगो का वर्णन कर दिया उसके गुणधर्म बता दिए शरीर का मूल आत्मा का कही भी जिक्र नही है। हम शरीर की धुलाई करते है, बालो को सवांरते है, तन को सुन्दर कपडो से सजाते है लेकिन मन को साफ नही करते मन में उलझे विचारो को सुलझाते नही, मन को कभी सुन्दर श्रेष्ठ विचारो से सजाते सवांरते नही है। शरीर आधारित जीवनचर्या खोखली और शक्तिहीन है। हमारी जीवनचर्या आत्मा आधारित होना चाहिए। आत्मा शरीर का केन्द्र है इसलिए यह देह में सबसे ऊचे स्थान मस्तक के मध्य में स्थित है। उसे तिलक लगाकर सम्मानित किया जाता है। आत्मा के देह को छोडते ही शरीर की सारी क्रियाएॅ बद हो जाती है। आत्मा के अच्छे बुरे कर्मो के कारण ही पापात्मा, पुण्यात्मा, का टाईटल दिया जाता है। आत्मा के मूल सात गुण है। आत्मा के ज्ञान और अनुभूति से ही समाज में फैली काम विकार, पापाचार, की अग्नि को बुझाया जा सकता है। मनुष्य जिसका शरीर एक दिन राख हो जाने वाला है वह अपने इस नश्वर शरीर के सुन्दरता और शक्ति के अहंकार में आकर न जाने कितने पापकर्म कर लेता है वास्तव में सुन्दर वह जिसने सुन्दर कर्म किए है। यह शरीर पुण्य कमाई के लिए है। जब स्वंय का ज्ञान पहचान होती है तब ही जीवन में पवित्रता शांति आती है।

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