छत्तीसगढ़ और ओडिशा में कोयले की ढुलाई बढ़ाने के लिए चल रही रेलवे की 14 आधारभूत परियोजनाएं

नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में कोल इंडिया लिमिटेड के 2025-26 तक 1 बिलियन टन कोयले के उत्पादन के मिशन की समीक्षा के साथ-साथ विचार-विमर्श किया गया। कोयला भारत के लिए प्राथमिक घरेलू ईंधन के साथ-साथ देश भर में अधिकतम ढुलाई की जाने वाली एक सामग्री है। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास कोयले के खनन, आपूर्ति और खपत पर केन्द्रित है।
खनन के बुनियादी ढांचे के विकास पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के जोर देने और उस दिशा में रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा पोत, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कार्यों से कोयले की उत्पादन क्षमता इसकी घरेलू मांग से अधिक है। पीएम गतिशक्ति के अनुरूप, सभी आधारभूत मंत्रालयों के समन्वित प्रयासों के साथ एकीकृत बुनियादी ढांचे का विकास, मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के माध्यम से कोयला उत्पादन और खनन क्षमता को और अधिक बढ़ाने पर केन्द्रित है। बैठक के दौरान विचार-विमर्श के अनुसार, वित्त वर्ष 2030 तक कोयले की निकासी में अपनी हिस्सेदारी को 64 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ रेलवे का अग्रणी स्थान बना हुआ है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में गतिशक्ति सिद्धांतों के अनुरूप कोयले की ढुलाई को बढ़ाने के लिए रेलवे की 14 आधारभूत परियोजनाएं चल रही हैं। रेलवे लाइन क्षमता को वित्त वर्ष 2026 तक कोयला ढुलाई के लिए पर्याप्त रूप से विकसित किया गया है। निजी कंपनियों द्वारा कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, रेलवे ने निजी साइडिंग से निजी फ्रेट टर्मिनल में रूपांतरण शुल्क को 1 करोड़ रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये करने जैसे कदम भी उठाए हैं। रेल मंत्रालय ने मालगाड़ियों की आवाजाही की निगरानी के लिए फ्रेट ऑपरेशंस इंफॉर्मेशन सिस्टम (एफओआईएस) भी विकसित किया है, जो माल ढुलाई और अन्य शुल्कों की गणना भी करता है। रेलवे सूचना प्रणाली केन्द्र (सीआरआईएस) एफओआईएस के लिए फ्रेट बिजनेस डेटा इंटीग्रेशन (एफबीडीआई) भी प्रदान करता है, जिसका उपयोग ग्राहक अपने आंतरिक एमआईएस नेटवर्क के साथ एकीकरण के लिए कर सकते हैं।

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