सीएम हाउस बना मायका, तीजा-पोरा तिहार में शामिल हुई राष्ट्रीय कांग्रेस की नेत्रियां…

मुख्यमंत्री निवास में शुरू हुआ तिहार का आयोजन
रायपुर।
राजधानी स्थित मुख्यमंत्री निवास में आज बड़े धूमधाम से तीजा-पोरा तिहार मनाया जा रहा है। हरेली की तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने रायपुर निवास में आज तीजा-पोरा का आयोजन किया। महिला-बाल विकास विभाग ने तीजा-पोरा तिहार के आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री निवास में विशेष इंतजाम किया है। तीज-पोरा के लिए मुख्यमंत्री बघेल ने कांग्रेस की नेत्रियों को भी आमंत्रित किया। दिल्ली से अल्का लांबा, सुप्रिया श्रीनेट सहित राष्ट्रीय कांग्रेस की 4 नेत्रियां कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर पहुंचीं हैं।
मुख्यमंत्री निवास परिसर में छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार साज-सज्जा की गई हैं। इस मौके पर नांदिया-बैला की पूजा की जाएगी। तीजा महोत्सव का आयोजन होगा। पोरा-तीजा तिहार के लिए कार्यक्रम में बहनों को आमंत्रित किया गया है, जिससे महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री निवास आज के दिन उनका मायका बन गया।
सीएम हाउस में आयोजित कार्यक्रम में एक सेल्फी जोन बनाया गया है, जहां नांदिया बैला के साथ लोग सेल्फी ले सकेंगे। कार्यक्रम में पोरा चुकी, शिवलिंग की पूजा की जाएगी। रइचुली झूला और चकरी झूला भी कार्यक्रम स्थल पर लगाया गया है। इन झूलों का लोग आनंद ले सकेंगे। कल शाम महिला-बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने मुख्यमंत्री निवास में राज्यसभा सांसद छाया वर्मा तथा फूलोदेवी नेताम, संसदीय सचिव तथा विधायक शकुंतला साहू और राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक सहित भ्रमण कर तैयारियों का जायजा लिया।
पोरा-तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गौवंशीय पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परम्परा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदीबैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। बैलों की दौड़ भी इस अवसर पर आयोजित की जाती है।
छत्तीसगढ़ में तीजा (हरतालिका तीज) की विशिष्ट परम्परा है, महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं। तीजा मनाने के लिए बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर लाते है। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व की इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने के लिए उत्सुक रहती हैं। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं। तीजा के दिन बालू से शिव लिंग बनाया जाता है, फूलों का फुलेरा बनाकर साज-सज्जा की जाती है और महिलाएं भजन-कीर्तन कर पूरी रात जागकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

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