भोपाल। चोइथराम मंडी और कबीटखेड़ी में इंदौर नगर निगमद्वारा स्थापित बायोमिथेनाइजेशन प्लांट की गूंज जापान तक पहुंच गई है। जापान में ग्रीन हाउस गैसों को कम करने की दिशा में शोध और काम करने वाली संस्था एआईएम के सदस्यों को इसके बारे में बताया गया है। भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आर्किटेक्चर विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनमोहन कापशे ने बताया कि किस तरह इंदौर के प्लांट में गीले कचरे से सीएनजी बनाकर उसका उपयोग सिटी बसचलाने में किया जा रहा है। एआईएम की 25वीं सालाना बैठक 18 और 19 को जापान के सुकुबा में हुई।जापान के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एन्वायर्नमेंट स्टडीज में हुई बैठक में विश्वभर के विभिन्न देशों के 50 प्रतिनिधि शामिल हुए। यह संस्था ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेंट चेंज को रोकने की दिशा में अध्ययन करती है। गीले कचरे से मीथेन पैदा होती है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में सहायक है। इंदौर में गीले कचरे की प्रोसेसिंग कर उससे सीएनजी पैदा कर रहे हैं। उसका उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के संचालन में हो रहा है। यह दोहरी उपलब्धि है। जापान पहुंचे मेहमान प्रतिनिधियों को बताया कि इंदौर में दो जगह गीले कचरे से सीएनजी पैदा कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल की जा रही है।