भोरमदेव टाइगर रिजर्व मामले में हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब

बिलासपुर। भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में कोर्ट ने शासन से जवाब तलब किया है। इस प्रकरण की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने कवर्धा के भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि वाइल्ड लाइफ बोर्ड की नौवीं बैठक में भोरमदेव को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने निर्णय लिया था। 10वीं वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में यह पास करके एनटीसीए दिल्ली को भेजा गया था। इसके अलावा बफर और कोर जोन का क्षेत्र निर्धारण करते हुए कहा था कि भोरमदेव को टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। लेकिन बाद में सरकार ने रुख बदला और वन विभाग के अफसरों ने कहा कि इससे प्रभावित होने वाली ग्राम पंचायतों से अनुमति नहीं ली गई है।
इसके लिए विशेष ग्राम सभा होनी थी। इसके कारण इसे टाइगर रिजर्व घोषित नहीं किया जा सका है। याचिका में बताया गया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए के द्वारा वर्ष 2014 में टाइगर रिजर्व की अनुशंसा की गई थी और वन संरक्षण ने सहमति दी थी। इसके बाद राज्य शासन ने वर्ष 2018 में भोरमदेव को टाइगर रिजर्व घोषित करने के प्रस्ताव को रद कर दिया। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य शासन को चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। मालूम हो कि पिछली सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने जवाब में स्पष्ट किया था कि भोरमदेव को टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने दोबारा संशोधित याचिका प्रस्तुत करने कहा था।

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