राज्य में प्रवासी संक्रमितों की संख्या अब 6
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना के नये स्ट्रेन का खतरा बना हुआ है। पिछले दिनों ब्रिटेन से रायपुर आईं दो महिलाएं कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार और रविवार को उनके नमूने लिए थे। इन दो महिलाओं को मिलाकर प्रदेश में ब्रिटेन से आने वाले पॉजिटिव लोगों की संख्या 6 हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 9 दिसम्बर के बाद ब्रिटेन से 65 लोग छत्तीसगढ़ में आए हैं। उनमें से 53 लोगों की कोरोना जांच की गई है। उनमें से छह लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें से दो रायपुर से हैं। संक्रमित व्यक्तियों में दुर्ग-भिलाई के दो और बिलासपुर व जांजगीर-चांपा के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया, ब्रिटेन से आए व्यक्तियों के सभी नमूनों की जांच रायपुर एम्स में हुई है। प्रदेश की प्रयोगशालाओं में वायरस के म्यूटेशन की जांच की क्षमता नहीं है। ऐसे में यहां ब्रिटेन में फैले कोविड-19 के नये स्ट्रेन की पहचान संभव नहीं है। ऐसे में पॉजिटिव पाए गए नमूनों को पुणे स्थित नेशनल वॉयरोलॉजी लैबोरेट्री भेजा गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि गुरुवार को जांच की रिपोर्ट मिल जाएगी।
बताया जा रहा है, अगर वहां नये स्ट्रेन की पहचान हो गई तो उसके प्रोटोकॉल के मुताबिक रोकथाम की व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल ब्रिटेन से आए पॉजिटिव लोगों को रायपुर एम्स के एक विशेष वार्ड में भर्ती कराया गया है। पॉजिटिव पाए गए लोगों के कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग का भी काम जारी है।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया, विदेशों से आए व्यक्तियों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर उन्हें अलग रखने की व्यवस्था कर ली गई है। रायपुर एम्स में 330 बिस्तरों की अलग से व्यवस्था की जा रही है।
उन्होंने कहा, कोरोना के इस नये स्ट्रेन के फैलने की क्षमता पहले से 60 प्रतिशत ज्यादा है। लेकिन अभी कोई चिंता की बात नहीं है। उन्होंने ब्रिटेन के पड़ोसी देशों से लौटे यात्रियों की सुरक्षा भी उपलब्ध कराने की मांग उठाई है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया, जो 14 लोग ब्रिटेन से आने के बाद दूसरे प्रदेशों में चले गए थे, उनमें से 13 से संपर्क स्थापित हो गया है। उन्हें जहां हैं वहीं कोरोना जांच कराने को कहा गया है। एक व्यक्ति को प्रशासन ट्रेस नहीं कर पाया है।
छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला केस मार्च 2020 में आया था। यह ब्रिटेन में पढ़ाई कर रही एक युवती थी। उसने खुद एम्स जाकर जांच कराया था। करीब दो सप्ताह के इलाज के बाद वह ठीक होकर लौटी।