केरल में कैथोलिक चर्च ने बनाई सेना, पूर्व फौजियों को किया भर्ती

कोच्चि। विवादों से घिरे केरल के चर्च ने अपने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं. केरल के एक कैथोलिक चर्च ने रिटायर मिलट्री और पैरामिलट्री की एक यूनिट बनाई है जिसे ‘गैब्रियल सेना’ नाम दिया गया है. यह पहली बार है जब चर्च ने अपनी सेना बनाई है.
बाइबिल के संदर्भ में ग्रैबियल सेना को भगवान का दूत माना जाता है. जो सात दूतों के समूह में से एक होता है जो सुरक्षा का जिम्मा उठाता है. ग्रैबियल सेना का लॉन्च पिछले महीने कन्नूर में थालास्सेरी आर्कडायोसिस में हुआ था. 15 नवंबर को कन्नूर के तालिपरम्बा में इनकी पहली बैठक होगी.
ग्रैबियल सेना की शुरुआत ऐसे समय हुई जब चर्च के पादरी सेक्स स्कैंडल से लेकर जमीन हड़पने जैसे आरोपों का सामना कर रहे हैं. हाल ही में एर्नाकुलम आर्कडायोसिस से संबंधित एक समूह ने कोच्चि के कार्डिनल हाउस तक मार्च किया था. जो कार्डिनल जॉर्ज अलेंचेरी के इस्तीफे की मांग कर रहा था.
पिछले साल नन के साथ बलात्कार के आरोपी जालंधर डायोसीस के बिशप फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी हुई थी. ननों के प्रदर्शन के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच उनके साथ 13 बार बलात्कार किया. यह घटना जालंधर डायोसीस द्वारा कोट्टयम जिले में संचालित कॉन्वेंट के बिशप के दौरे के दौरान हुई.
ग्रैबियन सेना के डायरेक्टर फादर मैथ्यू अशारीपरंबिल ने कहा कि रिटायर मिलट्री और पैरामिलट्री के जवानों को विश्वास के संरक्षक और आदर्शों का योद्धा बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी सेवाओं का इस्तेमाल ज्यादातर भीड़ को नियंत्रण करने के लिए किया जाएगा.
फादर मैथ्यू अशारीपरंबिल ने कहा कि हम 15 नवंबर को अपनी पहली बैठक में क़रीब 150 से ज़्यादा लोगों की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिसंबर में कन्नूर में चर्च द्वारा आयोजित की जाने वाली किसान रैली के दौरान पहली बार सेना के सदस्यों को तैनात किया जाएगा.
अशारीपरंबिल ने कहा कि इस समूह का कोई सांप्रदायिक एजेंडा नहीं है और कोई कैथोलिक इसमें शामिल होने के लिए स्वतंत्र है. हमने सभी पूर्व सैनिकों को हमारा साथ देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा ग्रैबियल सेना से जुड़े लोग अगर अन्य संगठनों से जुड़े हैं तो वो वहां भी अपनी सेवा दे सकते हैं.
रिटारयर्टड सैनिक अलेक्जेंडर टी जो अब ग्रैबियल सेना के सदस्य हैं उन्होंने कहा कि वो चर्च में अपनी सेवाएं देने के लिए खुश हैं. उन्होंने कहा, “हम सभी रिटायर्टड सैनिक स्वंयसेवकों के रूप में काम करने और चर्च के किसी भी आयोजन का प्रबंधन करेंगे.” अलेक्जेंडर टी 2015 में मद्रास इंजीनियर ग्रुप के हवलदार पद से सेनानिवृत्त हुए थे.
एक अन्य रिटायर सैनिक जॉर्ज के ने कहा कि जब वो चर्च में अपनी सेवाएं देने के लिए खुश हैं. लेकिन वो एक औपचारिक समूह बनाने को लेकर वो थोड़े निराश हैं. उनका कहना है कि मैं चर्च की सेवा एक स्वंयसेवक के तौर पर करुंगा लेकिन मैं किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं बनूंगा.
ग्रैबियल सेना का गठन करने वाले चर्च के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त ईसाई परिषद के सचिव जॉर्ज जोसेफ ने कहा कि मौजूदा समय में चर्च वर्चस्व के लिए आपस में लड़ते रहते हैं. ऐसे में सेना का गठन करना एक ख़तरनाक कदम है. खासकर सेना की सेवाओं का इस्तेमाल उन लोगों को डराने के लिए करना जो पादरी का विरोध करते हैं.

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