विवादों में घिरे जल जीवन मिशन के संपूर्ण टेंडर निरस्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने विवादों में घिरे जल जीवन मिशन के सम्पूर्ण टेंडर निरस्त करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज रायपुर में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया।
गौरतलब है कि इस योजना में करीब 7 हजार करोड़ रुपये के टेंडर गलत तरीके से दिए जाने के आरोप लग रहे थे। हाल ही में मुख्यमंत्री ने इस मामले में प्राप्त विभिन्न शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए इनके परीक्षण के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव वित्त और सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की तीन सदस्यीय टीम गठित की थी।
ऐसे आरोप लगे थे कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने पाइप निर्माता, इंजीनियरिंग और कंप्यूटर और उसकी एसेसरीज बनाने वाली अनुभवहीन कंपनियों को भी काम दे दिया गया। इससे नाराज प्रदेश के फर्मों और ठेकेदारों ने सीएम बघेल और पार्टी के अन्य हलकों में इसकी शिकायतें की थीं। इस संबंध में बताया गया है कि योजना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आफर बुलाए गए थे। ऐसे नियम बने कि यदि किसी कंपनी के पास अनुभव नहीं है तो वह ज्वाइंट वेंचर कर टेंडर कर सकती है। इसमें वह स्थानीय कंपनियों को शामिल कर सकती है। लेकिन कुछ ने ऐसा किया कुछ ने नहीं। इन बाहरी कंपनियों को उनके टर्नओवर पर रेट कांट्रेक्ट पर ही काम दिया गया। इस छूट का फायदा महाराष्ट्र, गुजरात ,तेलंगाना की कंपनियों को मिला। मैदानी इलाकों के काम बाहरी कंपनियों को दिया गया। इनमें पटेल इंजीनियरिंग मुंबई, लक्ष्मी इंजीनियरिंग कोल्हापुर, गाजा इंजीनियरिंग तेलंगाना, सुधाकर इंफोटेक हैदराबाद, एनएसटीआई कंस्ट्रक्शन कंपनी हैदराबाद, पीआर प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्टर दिल्ली प्रमुख हैं।
मन्त्रिमण्डल की बैठक में फैसला लिया गया कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा संचालित ‘जल जीवन मिशन’ के संपूर्ण टेण्डर (ईओआई) को निरस्त करके भारत सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *