आज होगी भारत-चीन विवाद पर कमांडर- स्तर की बातचीत

नई दिल्ली। सीमा पर तनाव को कम करने के लिए आज फिर भारत और चीन के बीच कमांडर-स्तर की बातचीत होगी। भारत और चीन के बीच काफी समय से सीमा विवाद जारी है। दोनों देश LAC पर तनाव कम करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया है। तनाव कम करने के लिए इस तरह की ये छठी बातचीत है।
जानकारी के मुताबिक ये बातचीत पूर्वी लद्दाख के मोल्डो बैठक पॉइंट पर होगी। भारतीय डेलिगेशन में विदेश मंत्रालय का भी एक अधिकारी शामिल होगा, अगर ऐसा होता है तो ये पहली बार होगा जब मिलिट्री कमांडरों की बैठक में विदेश मंत्रालय का कोई अधिकारी मौजूद रहेगा।
सैन्य संवाद- चशूल क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी पक्ष पर मोल्दो में सुबह 9 बजे शुरू होगा। पहली बार संयुक्त सचिव-रैंक वाले अधिकारी की भागीदारी में होगा। सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य प्रणाली, दोनों देशों के बीच राजनयिक बातचीत में भारतीय रक्षा मंत्रालय का एक प्रतिनिधि शामिल है।
दोनों सेनाओं के कोर कमांडर-रैंक के अधिकारी अब तक पांच बार मिल चुके हैं, लेकिन लद्दाख सेक्टर में गतिरोध को तोड़ने में नाकाम रहे, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा एक महत्वपूर्ण सैन्य निर्माण देखा गया है।
चीन के एक उच्च शक्ति वाले पैनल ने पिछले हफ्ते लद्दाख सेक्टर में हुए ताजा घटनाक्रम की समीक्षा की, जिसमें मध्य-अप्रैल की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ-साथ मध्य अप्रैल की स्थिति को बहाल करने के लिए भविष्य की वार्ता पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारतीय और चीनी कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच आगामी सैन्य वार्ता के एजेंडे पर उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा की गई थी, यहां तक कि लद्दाख में स्थिति पैंगॉन्ग बोस क्षेत्र में दोनों सेनाओं द्वारा हाल ही में युद्धाभ्यास की एक सीरीज के बाद तनावपूर्ण बनी हुई है।
अधिकारियों ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह, जो लेह-स्थित 14 कोर के प्रमुख हैं, सीमा पर तनाव कम करने के लिए चीन के साथ सैन्य वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका अगले महीने कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीएम मेनन उनकी जगह कार्यभारत संभालेंगे। हरिंदर सिंह ने अक्टूबर 2019 में वाहिनी की कमान संभाली थी।
भारत की पकड़ मजबूत.
लद्दाख के पूर्वी इलाके भारतीय सेना की पकड़ मजबूत है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 20 से ज्यादा रणनीतिक चोटियों पर भारत का पूरी तरह से नियंत्रण है। इसके साथ ही ड्रैगन को जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना ने यहां पर राफेल भी तैनात कर दिए हैं।

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