दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष रसिक परमार ने दिया इस्तीफा, सरकार जल्द करेगी नये अध्यक्ष की नियुक्ति

रायपुर। राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ मर्यादित के अध्यक्ष रसिक परमार ने आज इस्तीफा दे दिया। हस्तलिखित इस्तीफा उन्होंने सीधे पंजीयक सहकारी संस्थाएं को भेजा है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दे दी गई है जिसके बाद नया अध्यक्ष नियुक्त होने की संभावना है. इसके लिए कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का नाम चल रहा है।
सूत्रों के मुतातबक जांच कमेटी की आडिट रिपोर्ट के आधार पर शासन ने एफआईआर करने का मन मना लिया था जिसकी भनक परमार को लग गई और उसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया हालांकि अभी भी जांच शुरू होने की बात कही जा रही है।
जानते चलें कि पखवाड़े भर पहले ही दुग्ध महासंघ देवभोग के अध्यक्ष रसिक परमार को पंजीयक सहकारी संस्था ने उनके पद से हटा दिया था साथ ही तीन साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया है। सहकारी संस्थाएं के पंजीयक हिमशिखर गुप्ता ने यह आदेश जारी किया था। आरोप है कि रसिक परमार ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए कपटपूर्वक कार्यकलाप किए और दुग्ध महासंघ को आर्थिक हानि पहुंचाई। 25 करोड़ से अधिक की अनियमितता आडिट रिपोर्ट में उजागर हुई है।
कमेटी की जाँच रिपोर्ट में गंभीर खुलासा हुआ है जिसमें रसिक परमार सात साल तक छलकपट से दुग्ध महासंघ में अध्यक्ष पद पर बने रहे। परमार अपने कार्यकाल में 5 मार्च 2013 से 4 मार्च 2016 तक नामांकित अध्यक्ष रहे. उसके बाद 5 मार्च 2016 से फिर से 20 अगस्त 2018 तक प्राधिकृत अधिकारी एवं 20 अगस्त 2018 से अब तक निर्वाचित अध्यक्ष पद पर बने रहे थे। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 का जमकर उल्लंघन करते हुए महासंघ को करोड़ों रूपये की हानि भी पहुंचाई।
आडिट रिपोर्ट कहती है कि रसिक परमार के कार्यकाल में महासंघ को कुल 17 करोड़ 52 लाख की हानि हुई है. वित्तीय वर्ष 2015 -16 में 1 करोड 18 लाख, वर्ष 2016-17 में 7.करोड़ 90 लाख, वर्ष 2017-18 में 4 करोड 28 लाख, 2018-19 में 9 करोड़ 11 लाख रुपए की हानि दुग्ध महासंघ को हुई। साथ ही दूध से मक्खन के व्यापार में हानि 1 करोड़ 49 लाख दूध से घी के व्यापार में 0.20 करोड़ की हानि हुई। महासंघ के अध्यक्ष ने पंजीयक को गुमराह करने की मंशा से विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत नही की और न ही दुग्ध महासंघ को हो रही हानि पर ध्यान दिया। दुग्ध महासंघ का लेनदारों पर 14 करोड़ 13 लाख का बकाया हैं जबकि 2014 से लेकर 2019 तक दूध समितियों को दी जाने वाली राशि 20 करोड़ 79 लाख रूपये का भुगतान नही हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *