कोविड-19 के प्रभाव को नियंत्रित और रोकथाम के लिए समुचित कार्यवाही की जाए : गौबा

केबिनेट सचिव ने मुख्य सचिवों से जन स्वास्थ्य के संबंध में की चर्चा
रायपुर।
भारत सरकार के केबिनेट सचिव राजीव गौबा ने आज दिल्ली से देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण जन स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव को लेकर विस्तार से चर्चा की। केबिनेट सचिव ने राज्यवार कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए के निर्देश दिए। केबिनेट सचिव ने गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी नई गाईडलाईन का पालन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। छत्तीसगढ़ से वीडियों कान्फ्रेंसिंग में भाग लेते हुए स्वास्थ्य विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह ने केबिनेट सचिव को राज्य के 6 जिले जहां कोरोना के एक्टिव केश ज्यादा हैं की जानकारी दी। स्वास्थ्य सचिव ने केबिनेट सचिव से राज्य में टेस्टिंग सुविधा बढ़ाने के लिए राज्य के प्राईवेट अस्पतालों में ट्रूनाट टेस्टिंग मशीन की सुविधा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, इस पर केबिनेट सचिव श्री गौबा ने भारत शासन के डी जी आई सी एम.आर. को त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिए है।
वीडियों कान्फ्रेंसिंग में खाद्य एवं परिवहन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह भी शामिल हुए। केबिनेट सचिव ने सभी राज्यों में ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्टिंग पर जोर दिया है और कोरोना पाजीटिव मरीजों के त्वरित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। केबिनेट सचिव ने राज्यों में आई सी यू बेड और वैंटिलेटर की सुविधाओं की भी समीक्षा की। वीडियों कान्फ्रेंसिंग में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, गृह एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया
शहर की जरूरत हुई पूरी
राज्य में शहरीकरण के साथ ही एक बड़ी समस्या बेहतर पर्यावरण की सामने आती है। इसके लिए शहरीकरण के साथ ही ध्यान देने की जरूरत रहती है।बेहतर पर्यावरण के जरूरी है शहर में पेड़-पौधों की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो।रायुपर शहर में चौड़ी सड़कें बनने के कारण बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए लेकिन लगाए नहीं गए। इसका परिणाम यह हुआ कि शहर का पर्यावरण ही बिगड़ता चला गया।पर्यावरण को बेहतर बनाने कई तरह के प्रयास किए गए लेकिन उसे सुधारा नहीं जा सका। इस बिगड़ते पर्यावरण को सुधारने के लिए कुछ साल पहले नई योजना बनाई गई आक्सीजोन। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहर की जरूरत आक्सीजोन का लोकार्पण किया है। शहर के ह्द्यस्थल पर 19 एकड़ में 11 करोड़ की लागत से बने आक्सीजोन में चार हजार से अधिक पेड़ पौधे लगाए गए हैं। इसमें सुबह व शाम की सैर के लिए तीन किमी लंबा पाथ वे बनाया गया है।उम्मीद है इससे शहर का पर्यावरण कुछ तो सुधरेगा तथा लोगों को सुबह व शाम सैर के लिए, कुछ पल सुकून के बिताने के लिए एक अच्छी जगह मिलेगी। इससे शहर हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। नए दौर के हिसाब से जब घरों में, सड़क किनारे पौधे लगाने की जगह नहीं बची है तो आक्सीजोन पर्यावरण सुधार का एक अच्छा उपाय है। रायपुर शहर जिस तेजी से बढ़ रहा है, जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, वाहनों की संख्या बढ़ रही है, जिस तेजी से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। उसे दूर करने के लिए और आक्सीजोन की जरूरत होगी। सरकार व प्रशासन को पहला आक्सीजोन बनाकर यह नहीं समझ लेना चाहिए कि यह पर्याप्त है। शहर में यह आक्सीजोन की शुरूआत है। इसके बाद शहर में जहां भी खुली जगह है वहां इस तरह के आक्सीजोन बनाए जाने चाहिए। जितनी आबादी बढ़ती जाएगी, जितनी चौड़ी सड़के बनती जाएगी, जितने दो पहिया,चार पहिया वाहन, कल कारखाने बढ़ते जाएंगे, पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जाएगा, तब इस शहर को और आक्सीजोन की जरूरत होगी। ज्यादा से ज्यादा पेड पौधों की जरूरत होगी। शहर को बेहतर बनाने की योजना में सरकार व निगम को शहर के भीतर और आक्सीजोन बनाने को भी सोचना चाहिए।शहर में हर साल बेहतर पर्यावरण के लिए लाखों पेड़ पौधे लगाए जाते हैं, पौधरोपण करते वक्त लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे पेड़ पौधे लगाए जाएं जो ज्यादा आक्सीजन देते हैं। आक्सीजोन की रायपुर से शुरुआत हुई है तो राज्य के अन्य शहरों में आक्सीजोन बनाने की पहल की जानी चाहिए। रायपुर में तो कुछ देर से इसकी शुरुआत हुई है।दूसरे शहरों मेें खुली जगह में अभी से आक्सीजोन बनाने की शुरूआत करनी चाहिए क्योंकि शहरीकरण के साथ शहर के भीतर जमीन की कमी होती जाती है।बेहतर पर्यावरण के लिए सरकार तो हर साल कुछ न कुछ करती है, उसके किए गए बहुत से कामों में आक्सीजोन ऐसा काम है जिसकी सराहना लोग हमेशा करेंगे।

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