रायपुर। कांग्रेस के दिग्गज विधायकों ने निगम मंडल में जाने से मना किया है। वही दूसरी तरफ अरूण वोरा ही ऐसे विधायक हैं, जो निगम-मंडल का कर्तव्यों को संभालने के हमेशा तत्पर रहते हैं
अरूण वोरा ने कहा कि निगम-मंडल में नियुक्ति मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। यदि उन्हें कोई जिम्मेदारी दी जाती है, तो वे इसे संभालने के लिए तैयार हैं। विधायक सत्यनारायण शर्मा, रामपुकार सिंह और पांच बार के विधायक धनेन्द्र साहू को निगम-आयोग का अध्यक्ष बनाने की चर्चा रही है। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने इनमें से कुछ विधायकों से चर्चा भी की थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
सत्यनारायण शर्मा, मध्यप्रदेश की दिग्विजय सरकार में ताकतवर मंत्री थे। इसके बाद जोगी सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे। स्वाभाविक तौर पर भूपेश मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। सत्यनारायण शर्मा के करीबी सूत्रों का मानना है कि निगम मंडलों का पद द्वितीय पंक्ति के नेताओं के लिए रहता है, जो चुनाव नहीं लड़ पाए हैं। ऐसे में सबसे सीनियर विधायक का निगम-मंडल में पद लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
कुछ इसी तरह के विचार धनेन्द्र साहू के भी हैं। जबकि पूर्व मंत्री रामपुकार सिंह का कहना है कि उनसे इस विषय पर किसी तरह की कोई चर्चा भी नहीं हुई है। रामपुकार सिंह भी जोगी सरकार में मंत्री रहे हैं। पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ल को खुले तौर पर निगम मंडल में जाने से मना कर चुके हैं। पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक सत्यनारायण शर्मा और धनेन्द्र साहू से राय लेकर उनके समर्थकों को निगम-मंडलों में जगह दी जा सकती है।