नई दिल्ली
G-20 शिखर सम्मेलन खत्म हो चुका है और भारत की अध्यक्षता में शामिल हुए 20 से ज्यादा देशों के प्रमुख वतन वापसी कर चुके हैं। इस अंतरराष्ट्रीय बैठक का असर राजनीतिक, रक्षा जैसे वर्गों के अलावा दुनिया की आम जनता पर भी पड़ता नजर आ रहा है। पड़ोसी पाकिस्तान की आवाम भी भारत की अगुवाई में हुए G-20 की तारीफ कर रहे हैं और अपने मुल्क की विदेश नीति पर सवाल उठा रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में एक पाकिस्तानी नागरिक ने कहा, ‘आज जब हम हमारी अर्थव्यवस्था बचाने की कोशिश कर रहे हैं, तब भारत शीर्ष 20 देशों की मेजबानी कर रहा है। भारत ने अच्छा कदम उठाया है। यह भारतीयों के लिए गर्व का पल है…। पीएम मोदी की विश्व के नेताओं के साथ तस्वीरें आईं हैं, भारत से जो फोटो आए हैं, उन्होंने दुनिया के सामने भारत की सकारात्मक तस्वीर तैयार करने में सफलता हासिल की है…।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सऊदी अरब के शहजादे यहां नहीं आए, लेकिन भारत गए, जो दिखाता है कि भारत दुनिया का अहम हिस्सा बन चुका है। यह हैरान करने वाला है कि बांग्लादेश को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया…।’
एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम विदेश नीति में नाकाम हो गए हैं और यही वजह है कि G-20 हमारे पड़ोस के मुल्क में हो रही है… मगर पाकिस्तान में आवाम को पता तक नहीं है कि पास में क्या हो रहा है। होना यह चाहिए था कि G-20 की कॉन्फ्रेंस पाकिस्तान में होनी चाहिए थी। मगर यह भारत में हुई। उसकी भी शायद यही वजह है कि हमारी जो विदेश नीति और यहां जो कानून व्यवस्था है, उसकी वजह से हम बहुत पीछे चले गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘बीते 5-6 सालों में हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के हालात बेहद खराब हुए हैं। दुनिया ने हमें साइडलाइन कर दिया है।’
‘भारत के लिए सम्मान की बात’
एक शख्स ने कहा, ‘…जब शीर्ष 20 देशों के प्रमुख किसी देश में जाते हैं, तो यह उस देश के लिए सम्मान की बात है। भारत की अर्थव्यवस्था को इससे फायदा होगा।’ एक ने कहा, ‘सऊदी अरब के शासक वहां गए और लोगों को उम्मीद थी कि वह यहां भी आएंगे, लेकिन वह नहीं आए। जब इतनी बड़े कॉन्फ्रेंस होती है, तो लोग देखते हैं कि देश आगे बढ़ रहा है…।’
भारत में G-20
9-10 सितंबर को भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ, जहां अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, इटली समेत कई बड़े देशों के शीर्ष नेताओं ने शिरकत की। हालांकि, इस बैठक से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गैरमौजूद रहे थे। बैठक के दौरान IMEC यानी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर समेत कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।