कलेक्ट्रोरेट परिसर में फार्म के लिए 50 रुपये तक की वसूली

जगदलपुर। कोरोना महामारी के संकट में देश भर के अलग-अलग राज्यों में लॉक डाउन की वजह से मजदूर फंसे हुए हैं। बस्तर जिले में भी फंसे हुए मजदूर और अन्य लोग वापस अपने घरों को जाना चाहते हैं। इसके लिए आवेदन भरकर जिला प्रशासन से अनुमति लेने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अनुमति लेने के लिए एक आवेदन फार्म भरना होता है, लेकिन इस आवेदन फार्म की उपलब्धता की व्यवस्था प्रशासन ने समुचित ढंग से नहीं करने के फलस्वरूप जिला कार्यालय परिसर में ही इसकी कालाबाजारी शुरू हो गयी है। जिसकी सुध लेने वाला कोई भी नही है। आवेदन देने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में पंहुचकर दिन भर यहां जमावड़ा लगा रहता है।
जिले के प्रशासनिक भवन के चारदिवारी के भीतर गरीबों की मजबूरी का फयदा उठाते हुए वापस अपने घर जाने के लिए यहां 05 रुपये से 50 रुपये तक में आवेदन फार्म बेचा जा रहा है। दरअसल गुरुवार 07 मई को बुद्ध पूर्णिमा की छुट्टी होने की वजह से जगदलपुर कलेक्ट्रेट में स्थित फोटोकॉपी की दुकान बंद थी। अनुमति के आवेदन फार्म लेने कलेक्ट्रेट पहुंचे गीरब मजदूरों और अन्य मजबूर लोगों को फार्म नहीं मिल रहा था। ऐसे में कुछ लोग यहां फार्म की कालाबाजारी करते नजर आए। एक युवक जो एक प्रशासनिक अधिकारी के वाहन का ड्राइवर है वह भी फार्म बेचने के काम में लगा हुआ था, जिसके द्वारा एक फार्म 10 रुपये में बेचा जा रहा था।
यह पूरा मामला जिला कार्यालय के उस कक्ष से शुरू हुआ जहां फार्म स्वीकार करने और अनुमति देने की प्रक्रिया चल रही थी। वहां मौजूद एक कर्मचारी ने चौकीदार को यह जिम्मा दिया कि वह बाहरी लोगों से फार्म की फोटो कॉपी करवाएं और लोगों को उपलब्ध करवाएं। इसके बाद अनाधिकृत कुछ लोग फार्म की फोटो कॉपी करवा कर उसे बेचने लगे। कलेक्ट्रेट पंहुचे आवेदक मुंह मांगी कीमत पर फार्म खरीदने के लिए मजबूर थे। यहां पंहुचे आवेदक नाम प्रकाशित नही करने की शर्त पर बताया कि उसे मलकानगिरी जाना है लेकिन फार्म ही उपलब्ध नहीं है। वहीं दूसरी तरफ झारखंड जाने के लिए कुछ मजदूरों ने 05 से 10 रुपये पर और कुछ ने 50 रुपये तक में यह फॉर्म खरीदा है।
जिला प्रशासन के द्वारा गरीब अनपढ़ मजदूरों के लिए आवेदन फार्म उपलब्ध करवाने की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं की गई है, और ना ही इसके लिए कोई निर्धारित काउंटर बनाया गया है। कुछ फार्म दीवारों पर चस्पा कर दिए गए हैं। और कुछ कील ठोक कर लटका दिए गए हैं। इनकी फोटो खींचकर या इन्हें लेकर लोगों को फोटो कॉपी की दुकान जाना पड़ रहा है। फोटो कॉपी करवा कर फॉर्म भरा जा रहा है। यदि जिला प्रशासन न्यूनतम दर पर यह फार्म उपलब्ध करवा देता तो इस तरह का मामला सामने ही नहीं आता। गरीब मजदूरों को मनमाना वसूली से निजात मिल सकता था, यह छोटी सी बात है लेकिन गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाने वालों पर अंकुश लगाया जाना आवश्यक है।

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