वन विभाग से राहत न मिलने के चलते दान के पैसे से किये अंतिम संस्कार
गरियाबन्द। बीते दिनों गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत खरी पथरा में एक 65 वर्षीय वृद्ध को तेन्दुपत्ता तोडऩे के दौरान जंगल में भालू ने हमला कर बुरी तरीके से घायल कर दिया था जिसके बाद पीडि़त बुजुर्ग को अमलीपदर स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, प्राथमिक उपचार के बाद पीडि़त की चिंताजनक हालत को देखते हुवे गरियाबंद रेफर किया गया जहां उसकी हालत चिंताजनक देख डॉक्टरों ने पुन: रायपुर के लिए रेफर कर दिया था।
मिली जानकारी के अनुसार रायपुर में इलाज के दौरान भालू के हमले से घायल बुजुर्ग की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने पोस्टमार्टम करवाकर शव को गृह ग्राम लेकर पहुंचे। भालू के हमले से मृतक के परिवार की स्थिति इतनी दयनीय है कि परिजन मृतक का अंतिम संस्कार करने में भी असमर्थ थे। उन्होंने वन विभाग के बीट गार्ड से संपर्क कर सहायता राशि की उम्मीद जताई पर बीट गार्ड ने कहा कि सहायता राशि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा एक दो दिन में आकर दी जाएगी। ऐसी स्थिति में गांव के पूर्व सरपंच पुनीत नागेश परिजनों की मदद को सामने आए और परिजनों को ?2000 की आर्थिक सहायता की जिससे कि मृतक का अंतिम संस्कार किया जा सका। यह पहली घटना नहीं है जब गरियाबंद वन परिक्षेत्र में इस तरह की घटना हुई हो पहले भी एक बच्चे को तेंदुआ उठाकर ले गया था। जिसके बाद वन विभाग ने मृतक बच्चे के परिवार वालों को तत्काल 25000 की तात्कालिक सहायता राशि की थी मगर दूसरी घटना खरी पथरा की है जहां विभाग की उदासीनता देखने को मिली है ।जबकि उस परिवार का बकरी पालन से ही उस परिवार की रोजी रोजी चलता है । परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण परिजनों ने 10000 रुपये गांव से ही उधार लिया गया। घटना स्थल पर अब तक वन परिक्षेत्राधिकारी नहीं पहुंचे थे जब हमारे संवाददाता ने उनसे कोशिश की तो उनका मोबाइल संपर्क में नहीं था।
इसी तरह बीते तीन वर्ष पहले नगर के छीन तालाब के पास तेंदुए के द्वारा दो मवेशी का शिकार किया गया था ,उसके मुवावजे के लिये मवेशी के मालिक के द्वारा वन विभाग का कई चक्कर लगाया गया फिर भी मुआवजा न मिलते देख वे उम्मीद ही छोड़ दिये ।वही बीते दो माह पूर्व जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर ग्राम बहेराबुड़ा में एक परिवार के घर दो बार तेंदुआ घुसा और बारी बारी से दो बकरी और एक बकरे को अपना शिकार बनाया था ।घटना के वक्त वन कर्मचारी तो मौके पर गए और प्रकरण भी बनाया लेकिन उसके बाद न ही वे कर्मचारी मौके पर पहुचे और न ही मुआवजा ही उस पीडि़त परिवार तक पहुचा ।जबकि उस परिवार का बकरी पालन से ही उस परिवार की रोजी रोजी चलता है ।
इस विषय मे वन मण्डलाधिकारी से फोन के माध्यम से सम्पर्क करने की कोशिश किया गया लेकिन वे फोन नही उठाए ।