रायपुर । धनतेरस के साथ शुरू हुआ प्रकाशोत्सव दीपावली के बाद नहाय-खाय के साथ 31 अक्टूबर से चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत हो जाएगी। छठ पूजा का त्योहार दिवाली के ठीक बाद मनाया जाता है। छठ पूजा को उत्तर भारत में खास तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. हालांकि अब छठ पर्व की रौनक बिहार, झारखंड, पूर्वी यूपी, महाराष्ट्र और पड़ोसी देश नेपाल में भी देखने को मिलती है। छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस खास त्योहार की शुरुआत नहाय-खाय से होती है।सुबह स्नान के बाद व्रती महिलाएं पूजा सामग्री के लिए अनाज को साफ करती हैं। इसके बाद इसे धूप में ढ़ककर सुखाती हैं। इस त्योहार में अनाज को धुलने से लेकर सुखाने तक का काम काफी ध्यान से किया जाता है। इसके बाद फिर से महिलाएं स्नान करती हैं। इस व्रत में महिलाएं एक बार अनाज खाने के बाद दिन में सिर्फ खरना का प्रसाद ले सकती हैं। छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन महिलाएं नहाए खाए के दिन सुखाए गए अनाज को चक्की में पिसवाती हैं। अनाज को मुंह में पट्टी बांधकर पीसा जाता है, ताकि अनाज पवित्रता बनी रहे। खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है और कच्चे चूल्हे पर रोटियां सेंकी जाती हैं। पूजा के बाद इस प्रसाद को व्रती महिलाएं भी खाती हैं। इस प्रसाद को ज्यादा से ज्यादा बांटा जाता है।
31 अक्टूबर : नहाय-खाय
1 नवंबरः खरना
2 नवंबरः शाम का अर्घ्य
3 नवंबरः सुबह का अर्घ्य