राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अंबेडकर को 129वीं जयंती पर किया याद

ऐसे महापुरुषों का चिंतन हमें नई प्रेरणा और ताकत देता है : मोदी
नई दिल्ली।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर को उनकी 129वीं जयंती पर याद करते हुए कहा कि ऐसे महापुरुषों का चिंतन हमें नई प्रेरणा और ताकत देता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट संदेश में कहा कि बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि। हमारे संविधान-शिल्पी डॉक्टर आंबेडकर, न्याय व समता पर आधारित समाज के लिए सदा प्रयत्नशील रहे। आइए, हम सब उनके महान व्यक्तित्व और जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेते हुए, उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लें।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अपने शुभकामना संदेश में कहा, भारतीय संविधान के शिल्पी, विधिज्ञ, अर्थशास्त्री, मूर्धन्य राजनेता, विचारक तथा समाज सुधारक भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर, पुण्य स्मृति को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर ने भारत के समकालीन इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी।आप अद्भुत विद्वान और दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने आगे बढ़ कर मानवाधिकारों के सरंक्षण के लिए अभियान को नेतृत्व प्रदान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में आप सदैव सामाजिक न्याय तथा समानता के पक्षधर रहे। उन्होंने जाति प्रथा को समाप्त करने की वकालत की तथा निरंतर सामाजिक रूढ़ियों के विरुद्ध लड़ते रहे। आजन्म समाज के हाशिए पर खड़े दुर्बल शोषित वर्गों के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे। वेंकैया ने कहा आज यह आवश्यक है कि नागरिक विशेषकर युवा, बाबा साहब जैसे देश के महान नायकों से प्रेरणा लें तथा गरीबी,अशिक्षा तथा जाति और लैंगिक विभेद जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को उनकी जयंती पर सभी देशवासियों की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ऐसे महापुरुषों का चिंतन हमें नई प्रेरणा और ताकत देता है।
प्रधानमंत्री ने एक वीडियो भी साझा किया। इसमें उन्होंने कहा बाबासाहेब मानवता के पक्षकार थे। अमानवीयता की हर चीज को वह नकारते थे। डॉ अंबेडकर ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिए नई नई नीतियां और नया विजन दिया। उनकी विचारधारा के मूल में समानता अनेक रूपों में निहित है। सम्मान की समानता के साथ-साथ कानून, अधिकार, मानवीय गरिमा और अवसर की समानता ऐसे ही अनेक विषयों की समानता बाबासाहेब ने अपने जीवन में लगातार व्याख्या की और उन विषयों को उठाते रहे।

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