मुख्यमंत्री बघेल ने कोरोना संकट से निपटने छत्तीसगढ़ की रणनीति और मॉडल पर राष्ट्रीय मीडिया को दी जानकारी

प्रेस कॉन्फेंस के जरिये पत्रकारों से की चर्चा

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज प्रेस कॉन्फेंस के जरिये महामारी से निपटने राज्य सरकार के प्रयासों की जानकारी पत्रकारों से साझा की। इस दौरान उन्होंने कोरोना के संक्रमण और बचाव के लिए छत्तीसगढ़ में किये जा रहे उपायों पर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में महामारी (COVID-19) से लड़ाई में छत्तीसगढ़ में अपनाए गए मॉडल की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि विश्व में फैल रही महामारी को देखते हुए 13 मार्च को कैबिनेट की बैठक लेकर इससे निपटने की रणनीति बनाई गई। जिसके तहत सभी स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्र, मॉल, सिनेमाघर बंद करने के साथ ही परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं।
सभी कार्यालयों में बॉयोमेट्रिक उपस्थिति स्थगित कर दिया गया। बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी। राज्य में सभी तरह के कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया।
18 मार्च को राज्य में कोरोना का पहला पॉजिटिव केस सामने आते ही तत्काल प्रदेश में लॉक डाउन किया गया। प्रदेश की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया, बाहरी राज्यों से बस परिवहन रोक दिया गया। वहीं राज्यभर में जागरूकता अभियान चलाया गया। लोगों की सोशल डिस्टेनसिंग की जानकारी दी गयी। इस त्वरित कार्रवाई से प्रदेश में संक्रमण के कम मामले सामने आए हैं। वहीं, अब उपचार के उपरांत सिर्फ 2 संक्रमित मरीज ही अस्पताल में भर्ती हैं।

सीएम बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में विदेशों से यात्रा कर लौटे 2100 लोगों की भी त्वरित जांच की गई। वहीं, हजारों लोगों को कोरंटाइन किया गया है।
अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूरों पर भी नजर रखी गयी। उनकी भी जांच कर सभी सुविधाओं से युक्त 2100 कमरों की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि 14 अप्रैल के बाद आगे की कार्रवाई पर प्रधानमंत्री से चर्चा और छत्तीसगढ़ कैबिनेट की बैठक के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

प्रेस कॉन्फेंस में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि जनधन खाते में प्रत्येक परिवार को 500 रुपये दिए जाने के बजाए हर सदस्य को दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने एक बार में तीन महीने के लिए अग्रिम राशि देने का अनुरोध किया। वहीं, उन्होंने दैनिक मजदूरों को भी एक बार में 3 महीने के लिए 1000 रुपये प्रतिमाह दिए जाने की माँग की।

इस दौरान श्री बघेल ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की मांगों पर देर से प्रतिक्रिया दी है।
साथ ही कहा कि अंतरराज्यीय आवागमन पर किसी भी निर्णय के लिए राज्य को भी भरोसे में लिया जाना चाहिए था।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने विदेश से आने वाले यात्रियों को संभालने में अपनी विफलताओं पर केंद्र सरकार पर सवाल भी उठाया। उन्होंने कहा कि यदि सही तरीके से जांच हुई होती और कोरंटाइन किया गया होता तो भारत की स्थिति भिन्न होती।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सभी के लिए नि: शुल्क परीक्षण किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को निजी और सरकारी अस्पतालों / संस्थानों द्वारा नि: शुल्क परीक्षण की लागत का वहन करे।
उन्होंने छत्तीसगढ़ के भीतर खाद्य आपूर्ति की कुशलता से प्रबंधन की भी जानकारी दी।
इस दौरान श्री बघेल ने एमपीलैड्स और अन्य सरकार के खर्चों में कटौती पर मीडिया का समर्थन और विज्ञापन में कटौती के विरोध पर चिंता जताई।

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