पक्षी, गाय-बछड़ों को भोजन देने हो उदारता की पहल
रायपुर। प्रदेश में कोरोना के चलते किए गए लॉकडाऊन के कारण न केवल आम जनमानस प्रभावित हुआ है बल्कि जीव-जन्तुओं का जीना भी दूभर हो गया है। जहां चीन के वुहान शहर में 76 दिनों का लॉकडाऊन समाप्त हो जाने के बाद वहां जश्न मनाया जा रहा है। वहीं कोरोना की चुनौती को स्वीकार कर जंग जीतने का उत्साह लिए छत्तीसगढ़ के ग्रामीण एवं शहरी निवासी कोरोना के चलते किए गए लॉकडाऊन का नियम और अनुशासनबद्ध पालन कर रहे हैं। जहां इस का इसका जनजीवन पर अच्छा असर हुआ है, वहीं इस अनुशासन का बुरा असर जीव-जन्तुओं पर होने लगा है। मिली जानकारी के अनुसार अभी दो दिनों पूर्व भिलाई के सिविक सेंटर में एक ही दिन में चार कुत्तों के भूख से मरने की सूचना मिली। जगह-जगह खुले रेस्टारेंट, होटलों और ठेलों के बूते अपनी भूख शान्त करने वाले कुत्तों की भीड़ निरन्तर कम होती जा रही है। वहीं लॉकडाऊन के बाद यही हालत गायों, बछड़ों एवं सांड़ों की भी है। आम तौर पर लोग अपने घर के आंगन में पानी, भोजन, बिस्किट, ब्रेड आदि खाद्यान्न सामग्री आदि रख देते थे। लॉकडाऊन के कारण इस उदारता में कमी देखी जा रही है। इन दिनों तापमान 36 से 38 डिग्री सेल्सियस चल रहा है, ऐसे में न केवल जीव-जन्तु बल्कि आम आदमी के लिए भी पानी की आवश्यकता अधिक मात्रा में होगी। पक्षियों, बंदरों, गिलहरियों, नेवलों, बिल्लियों को शहर में बेचैनी से घूमते और रोते-चिल्लाते आसानी से देखा जा सकता है। इसके मूल में भुखमरी है। उन्हें यथासंभव भोजन एवं पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए। सेक्टर-6 भिलाई, हुडको सेक्टर, प्रगति नगर रिसाली, रुआबांधा बस्ती, बजरंग पारा कोहका, कुरुद गांव आदि में भी बढ़ते तापमान और लॉकडाऊन के चलते बिल्ली, कुत्ते एवं पक्षियों के मृत होने की सूचनाएं मिली हैं। नगर निगम एवं शासन-प्रशासन की ओर से जीव-जन्तुओं को भी पर्याप्त भोजन मुहैय्या कराने की पहल की जानी चाहिए। जिससे कोरोना की जंग को चुनौती मानकर जीत को मजबूत मानते हुए जीव-जन्तुओं को भी स्वस्थ जीवन जीने सहयोग स्वरुप दाना-पानी उपलब्ध कराई जाए, जिससे मनुष्य के साथ-साथ जीव-जन्तुओं का जीवन भी बचा रहे।