बालोद। जिले के ग्राम भोईनापार में बुजुर्ग परिवार को 15 साल बाद अपने पुराने घर में रहने के लिए दिया गया हैं।एसडीएम सिल्ली थॉमस की पहल पर शनिवार को बुजुर्ग परिवार के समानों को टैक्टर में भरकर पुराने मकान में सिप्ट किया गया हैं। वही बुजुर्ग परिवार के सदस्यों ने प्रशासन की पहल पर खुशी जाहिर करते हुए मीडिया का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। ज्ञात हो कि शुक्रवार को मामले की जानकारी मिलते ही एसडीएम सिल्ली थॉमस ने ग्राम भोईनापार पहुचकर उक्त स्थान का मुआवना किया,जिसके बाद जांच करने का आश्वासन दिया था,और बुजुर्ग परिवार को न्याय दिलाने की बाते कहि थी,जिस पर एसडीएम ने एक दिन बाद ही बुजुर्ग परिवार को पुराने धर को रहने के लिए दिया गया, बालोद जिले के भोईनापार ग्राम पंचायत के निवासी सुखनंदन टंडन व उर्मिला बाई का हैं जो खुले आसमान में पिछले 15 वर्षों से जीवन यापन करने की खबर शोसल मीडिया व न्यूज चैनल में प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आई थी और आनन फानन में कलेक्टर ने तत्काल एसडीएम को ग्राम भोईनापार भेजा था ,जिसके बाद बुजुर्ग परिवार को न्याय मिलने के साथ ही उनका अपना पुराना धर मिला है ज्ञात हो कि जानकारी के अनुसार पेड़ के गिरे ढहनी में बैठे यह दंपत्ति सुखनंदन टंडन व उर्मिला बाई है जो बालोद जिले के भोईनापार ग्राम पंचायत के निवासी हैं और दबंगों की दबंगई के शिकार होने के चलते सालों से खुले आसमान के नीचे पेड़ के साए में जीवन व्यतीत करने के मजबूर हैं, पीड़ित सुखनंदन टंडन बतलाते हैं कि वह इस गांव में सन 1978 से रह रहे हैं 1983-84 में इन्हें इंदिरा आवास आवास मिला था,जिसमें रहे थे इसी दौरान सुखनन्दन दंडन के माता का देहांत हो गया था, इस दौरान अपनी माता की दह संस्कार और मृतक कार्यक्रम करने बिलासपुर चले गए थे, जब 15 दिन बाद वापस गांव लौटे तो घर में रखे सारे सामान चोरी हो गए थे ,जिसकी शिकायत बालोद थाने में दर्ज कराया गया था , लेकिन आज तक इन दम्पति परिवार को न्याय मिलने के बदले जेल की यातनाएं सहन करना पड़ा था। जेल जाने दौरान गांव के दबंग रोजगार सहायक व सचिव ने इनके इंदिरा आवास को भी कब्जा कर लिया,.यही नहीं जेल से छूटकर आने के बाद गांव के दूसरे के घरों में सहारा लिया तो दबंगों ने घरवालों के ऊपर ही कई तरह के दबाव बना इन्हें सहारा देने से ही मना करवा दिया,अंत में थक हारकर 15 साल पहले से बुजुर्ग दंपत्ति इसी स्थान पर झोपड़ी बना रहने लगे थे,तो यहां भी दबंगों व पंचायत वालों ने झोपड़ी को तोड़ खुले आसमान के नीचे जीवन व्यतीत करने को मजबूर कर दिया । यही नहीं पीड़ित की माने तो सरकार द्वारा मिलने वाली योजना के तहत बने राशन कार्ड, आधार कार्ड, जॉब कार्ड को पंचायत वालों ने जप्त कर इन्हें सरकार के मिलने वाली योजनाओं से भी वंचित कर दिया गया है।