देहरादून। महाशिवरात्रि भगवान शिव और पार्वती के विवाह का उत्सव माना जाता है। पौराणिक मान्यताएं हैं कि उत्तराखंड के सोनप्रयाग के पास मौजूद त्रियुगी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती विवाह कराया था। ये मंदिर अब धीरे-धीरे वेडिंग डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। हर विवाह मुहूर्त पर यहां 3-4 शादियां होती हैं। देशभर से लोग यहां शादी के लिए पहुंच रहे हैं। इस साल से यहां नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। विदेश से भी लोग शादी के लिए यहां आ रहे हैं। 29 फरवरी को यहां एक विदेशी लड़के की शादी गाजियाबाद की लड़की से हो रही है। स्थानीय प्रशासन और समितियां इसे अब बड़े वेडिंग डेस्टिनेशन में बदलना चाह रही हैं।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गांव त्रियुगी नारायण के इस मंदिर की खास बात ये है कि ये भगवान विष्णु और लक्ष्मी का मंदिर है, लेकिन इसकी मान्यता शिव-पार्वती विवाह को लेकर ज्यादा है। इसी विशेषता के कारण यहां लोग आते हैं। मंदिर में एक अखंड धूनी है, जिसे लेकर कहा जाता है कि ये वही अग्नि है जिसके फेरे शिव-पार्वती ने लिए थे। आज भी उनके फेरों की अग्नि धूनि के रूप में जागृत है। मान्यता है कि यहां शादी करने पर वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति-पत्नी के बीच आजीवन प्रेम और समर्पण का भाव बना रहता है।