रामलला को अब नहीं करना होगा लंबा इंतजार, जल्द ही अस्थाई मंदिर में होंगे शिफ्ट

अयोध्या। रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के भव्य व दिव्य मंदिर निर्माण से पहले उन्हें अन्यत्र शिफ्ट करने की योजना की रुपरेखा तैयार हो गई है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें पहले मानस भवन में प्रतिष्ठित करने का खाका तैयार किया था। फिर इसके बाद इस योजना को स्थगित कर अधिग्रहीत परिसर में ही मानस भवन के दक्षिण खाली भूमि पर अस्थाई मंदिर बनाकर ही प्रतिष्ठित करने का प्लान बनाया है। अस्थाई मंदिर की डिजाइन भी बनवाई गई है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की बैठक में ट्रस्टियों के अनुमोदन के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इसकी पुष्टि विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास ने करते हुए बताया कि सप्ताह भर पहले लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं ने जमीन की नाप-जोख की थी। दो दिन पहले यहां आए पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने प्रस्तावित स्थल को लेकर हरी झंडी दे दी है। प्रस्तावित स्थल पर विराजमान रामलला को शिफ्ट किए जाने के बाद सुरक्षा व्यवस्था में कोई खास परिवर्तन नहीं होगा। इसके अलावा दर्शन के लिए बनवाए गए जिग-जैग को सीता कूप के निकट से ही मोड़कर थोड़ा छोटा कर देने मात्र से काम चल जाएगा।
इससे पहले मानस भवन के प्रस्तावित स्थल में रामलला की प्रतिष्ठा के बाद दर्शनार्थियों के प्रवेश और निकास के मार्ग में ही परिवर्तन करना पड़ रहा था। इसके कारण पूरी व्यवस्था में भारी बदलाव से अनावश्यक श्रम और समय की खपत के साथ अतिरिक्त धनराशि भी व्यय करनी पड़ती। इसी के चलते इस प्रस्ताव को स्थगित पर दूसरा प्रस्ताव बनाया गया है।
मंदिर निर्माण में बाधा डालने के लिए उठाया कब्रगाह का मुद्दा:सतेन्द्र दास
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री का कहना है कि अयोध्या के नौ मुस्लिम प्रतिनिधियों की ओर से कब्रगाह का मुद्दा उठाना, मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को बाधित करने की साजिश है। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम पक्ष की ओर से यह मुद्दा अदालत में उठाया जा चुका है और कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अब वहां कोई कब्रगाह नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से एएसआई खुदाई में विवादित स्थल के नीचे प्राचीन मंदिर की ही दीवार मिली है।

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