मुंबई
मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों और जिंस कीमतों में नरमी की वजह से भारत के विकास की गति वित्त वर्ष 2023-24 में बरकरार रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही।
आरबीआई ने जारी अपनी रिपोर्ट में चालू वित्त 2023-24 वर्ष में मुद्रास्फीति में कमी की उम्मीद भी जताई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह कहा गया है कि धीमी वैश्विक वृद्धि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में दबाव की ताजा घटनाओं के कारण अगर वित्तीय बाजार में अस्थिरता होती है, तो इससे वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों, जिंस कीमतों में नरमी, मजबूत वित्तीय क्षेत्र, स्वस्थ कॉरपोरेट क्षेत्र, सरकारी व्यय की गुणवत्ता पर लगातार जोर, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन और महंगाई के मोर्चे पर नरमी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर की गति वित्त वर्ष 2023-24 में बरकरार रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक एक स्थिर विनिमय दर और एक सामान्य मानसून के साथ यदि अल नीनो की घटना नहीं होती है, तो मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2023-24 में और नीचे जाने की उम्मीद है।
आरबीआई की रिपोर्ट में थोक महंगाई दर घटकर 5.2 फीसदी से कम रहने का अनुमान जताया गया है, जो बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 6.7 फीसदी थी। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट इसके केंद्रीय निदेशक मंडल की एक वैधानिक रिपोर्ट है।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि धीमी वैश्विक वृद्धि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में दबाव की ताजा घटनाओं के कारण अगर वित्तीय बाजार में अस्थिरता होती है, तो इससे वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि विवेकाधीन खर्च में लगातार सुधार, उपभोक्ता विश्वास की बहाली, कोविड-19 संबंधी प्रतिबंधों के खत्म होने के बाद अच्छी त्योहारी मांग और पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर से वृद्धि को समर्थन मिला।
हालांकि, अधिक आधार प्रभाव, महंगाई के कारण निजी खपत कमजोर रहने, निर्यात वृद्धि की सुस्त रफ्तार और लगात बढ़ने के कारण 2022-23 की दूसरी छमाही में वृद्धि की गति कम हुई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, ”मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों, जिंस कीमतों में नरमी, मजबूत वित्तीय क्षेत्र, स्वस्थ कॉरपोरेट क्षेत्र, सरकारी व्यय की गुणवत्ता पर लगातार जोर, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन और महंगाई के मोर्चे पर नरमी के कारण भारत की वृद्धि गति 2023-24 में बरकरार रहने की उम्मीद है।”
रिपोर्ट में कहा गया है, ”भारत की वास्तविक जीडीपी के 2022-23 में सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।”
केंद्रीय बैंक ने 311 पन्नों की रिपोर्ट में कहा, ”भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि क्षमता में सुधार के लिए संरचनात्मक सुधारों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।”
आरबीआई की 2022-23 के लिए वार्षिक रिपोर्ट में आगे कहा गया कि उसकी मौद्रिक नीति यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वृद्धि को समर्थन देने के साथ ही मुद्रास्फीति लगातार तय लक्ष्य के करीब पहुंचे। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट इसके केंद्रीय निदेशक मंडल की एक वैधानिक रिपोर्ट है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ”एक स्थिर विनिमय दर और एक सामान्य मानसून के साथ, अगर अल नीनो घटना नहीं होती है, तो मुद्रास्फीति के 2023-24 में नीचे जाने की उम्मीद है। थोक मुद्रास्फीति के घटकर 5.2 प्रतिशत से कम रहने का अनुमान है, जो बीते वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत थी।”
वाह्य क्षेत्र के बारे में केंद्रीय बैंक ने कहा कि सेवाओं के मजबूत निर्यात और आयातित वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण चालू खाता घाटा (सीएडी) सीमित रहने की उम्मीद है।
आरबीआई ने कहा, ”वैश्विक अनिश्चितताओं के बने रहने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह अस्थिर रह सकता है।”
आरबीआई ने कहा कि वह खुदरा और थोक स्तर पर चल रही केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की पायलट परियोजनाओं का विस्तार करेगा। आरबीआई ने 2022-23 के दौरान पायलट आधार पर ई-रुपया भी पेश किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2023 तक चलन में शामिल ई-रुपया (थोक) और ई-रुपया (खुदरा) का मूल्य क्रमश: 10.69 करोड़ रुपये और 5.70 करोड़ रुपये था।
रिपोर्ट में कहा गया कि 2022-23 में नोटों की मांग और आपूर्ति सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत अधिक थी।
रिपोर्ट के मुताबिक बैंक नोटों का चलन मूल्य और मात्रा के लिहाज से 2022-23 के दौरान क्रमश: 7.8 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत बढ़ा है। वित्त वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा क्रमश: 9.9 प्रतिशत और पांच प्रतिशत था।
रिपोर्ट के मुताबिक मूल्य के लिहाज से 31 मार्च, 2023 तक 500 रुपये और 2,000 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी कुल बैंक नोटों के चलन में 87.9 प्रतिशत थी। इससे एक साल पहले यह आंकड़ा 87.1 प्रतिशत था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल में 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की घोषणा की है और इन्हें जमा करने या बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2021-22 की तुलना में बीते वित्त वर्ष में 20 रुपये और 500 रुपये (नए डिजाइन) के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
दूसरी ओर 10 रुपये, 100 रुपये और 2,000 रुपये के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में क्रमशः 11.6 प्रतिशत, 14.7 प्रतिशत और 27.9 प्रतिशत की गिरावट हुई।
रिजर्व बैंक का बही-खाता बीते वित्त वर्ष में ढाई प्रतिशत बढ़कर 63.45 लाख करोड़ रुपये पर
मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का बही-खाता बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 2.5 प्रतिशत बढ़कर 63.45 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। केंद्रीय बैंक की जारी वार्षिक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
मुख्य रूप से आमदनी बढ़ने की वजह से रिजर्व बैंक के बही-खाते का आकार बढ़ा है।
केंद्रीय बैंक का बही-खाता देश की अर्थव्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे मुख्य रूप से मुद्रा जारी करने के कामकाज के अलावा मौद्रिक नीति और आरक्षित कोष प्रबंधन उद्देश्य का पता चलता है।
रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक के बही-खाते का आकार 1,54,453.97 करोड़ रुपये या 2.5 प्रतिशत बढ़कर 61,90,302.27 करोड़ रुपये से 63,44,756.24 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
वित्त वर्ष के दौरान केंद्रीय बैंक की आय जहां 47.06 प्रतिशत बढ़ी, वहीं उसके खर्च में 14.05 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
वित्त वर्ष के अंत तक रिजर्व बैंक के पास 87,416.22 करोड़ रुपये का अधिशेष था। एक साल पहले यह 30,307.45 करोड़ रुपये था। इस तरह रिजर्व बैंक का अधिशेष 188.43 प्रतिशत बढ़ा।
केंद्रीय बैंक अधिशेष को लाभांश के रूप में केंद्र सरकार को स्थानांतरित करता है।
रिजर्व बैंक ने कहा, ”संपत्ति में बढ़ोतरी विदेशी निवेश, सोने और ऋण और अग्रिम में क्रमश: 2.31 प्रतिशत, 15.30 प्रतिशत और 38.33 प्रतिशत की वृद्धि की वजह से हुई।
वहीं देनदारी की बात की जाए, तो इसमें वृद्धि नोट जारी करने, पुन:मूल्यांकन खाते और अन्य देनदारियों की वजह से क्रमश: 7.81 प्रतिशत, 20.50 प्रतिशत और 79.07 प्रतिशत रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2023 तक कुल संपत्तियों में घरेलू संपत्तियों का हिस्सा 27.69 प्रतिशत और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों और सोने (स्वर्ण जमा और भारत में रखा गया सोना) 72.31 प्रतिशत रहा। एक साल पहले यह क्रमश: 28.22 प्रतिशत और 71.78 प्रतिशत था।
आकस्मिक कोष के लिए 1.31 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया और इसे स्थानांतरित किया गया। वहीं संपत्ति विकास कोष (एडीएफ) के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया।
केंद्रीय बैंक ने 2022-23 में नोट छापने पर 4,682.80 करोड़ रुपये खर्च किए। यह 2021-22 के आंकड़े 4,984.80 करोड़ रुपये से कुछ कम है। 31 मार्च, 2023 तक रिजर्व बैंक के पास 794.63 टन का स्वर्ण भंडार था। एक साल पहले यह 760.42 टन था।