नईदिल्ली। शीर्ष न्यायालय का मानना है कि अधिकांश तलाक ‘सिर्फ प्रेम विवाह’ या लव मैरिज में ही हो रहे हैं।एक सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने यह टिप्पणी की है। पीठ एक जोड़े के बीच जारी विवाद से जुड़ी ट्रांसफर पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी। हाल ही में शीर्ष न्यायालय ने एक फैसले में कहा था कि वह तत्काल तलाक देने के लिए वह अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर सकता है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान जब वकील ने कोर्ट को बताया कि मामला लव मैरिज का है, तो इसपर जस्टिस गवई ने कहा, ‘अधिकांश तलाक सिर्फ लव मैरिज में ही हो रहे हैं।’ खास बात है कि कोर्ट ने कपल को ध्यान या मेडिटेशन की सलाह दी थी, जिसका पति ने विरोध किया। साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि वह बगैर उनकी अनुमति के तलाक को मंजूरी दे सकता है।
तलाक पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
2 मई को शीर्ष न्यायलय की तरफ से दिए गए फैसले में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 142(1) के तहत तत्काल तलाक देकर शादी खत्म कर सकता है। हालांकि, कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि ऐसा तब ही हो सकता था कि जब यह स्पष्ट हो जाए कि विवाह को बचाने का कोई भी रास्ता नहीं बचा है। साथ ही कई मुद्दों पर विचार करने की बात भी कही गई थी।
न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि ऐसे मामलों में शीर्ष अदालत को पूरी तरह से आश्वस्त और संतुष्ट होना चाहिए कि विवाह ‘पूरी तरह से अव्यावहारिक, भावनात्मक रूप से मृत और बचाने लायक नहीं’ है, इसलिए विवाह को समाप्त करना ही सही समाधान है और आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।