आगरा में ताजमहल से हर साल गुम हो रहे बेशकीमती पत्थर, तिब्बत-बगदाद से भी आई थे इतने पत्थर

आगरा। यूपी के आगरा में ताजमहल की खूबसूरती को चार चांद लगाने वाले कई बेशकीमती पत्थर गायब हो गए हैं। सौंदर्य न बिगड़े इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने गायब पत्थरों की जगह नए पत्थर भी लगा दिए हैं। पिछले सात वर्षों में इस पर करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
सूचना के अधिकार के तहत एएसआई के जनसूचना अधिकारी महेश चंद्र मीणा के जवाब और पच्चेकारी (इनले वर्क) के लिए जारी टेंडर पत्थर गुम होने की तस्दीक कर रहे हैं। ये पत्थर शाहजहां-मुमताज की कब्र, संगमरमर की मुख्य इमारत और उसके सामने बने रॉयल गेट के अलावा दूसरे हिस्सों में लगे हैं। इतिहासकारों और पुस्तक द ताज एंड इट्स एनवॉयरमेंट में दी गई जानकारी के मुताबिक, निर्माण के दौरान 42 तरह के पत्थर लगवाए गए थे।
मौलवी मुईनुद्दीन ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया है। एएसआई ने वर्ष 2021-22 में दक्षिण और पश्चिमी मीनारों पर 15.77 लाख का काम कराया। 2018-19 में 51 लाख, 2017-18 में 42 लाख, 2016-17 में 20 लाख का काम कराया। 2015-16 में आरटीआई में खर्च का आंकड़ा 12,141 रुपये बताया गया, लेकिन इनले वर्क को देखते हुए विशेषज्ञ आंकड़े को अधूरा मानते हैं।
कहां से कितने पत्थर आए
पत्थर स्थान संख्या
अकीक बगदाद 540
फिरोजा तिब्बत 670
मूंगा भारतीय 143
नीलम नामालूम 74
जवाहरात नामालूम 42
रुबी बड़कसान 142

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