इंदौर। कन्याकुमारी से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में साथ चल रही छत्तीसगढ़ की महिला क्रांति बंजारे की तबियत बिगड गई यहां तक कि अस्पताल में भर्ती कराकर आपरेशन भी कराना पड गया लेकिन महिला को यह एहसास भी नहीं हुआ कि वह घर से बाहर है। यात्रा प्रभारी दिग्विजय सिंह ने स्वंय भर्ती करवाकर आपरेशन करवाया और अब महिला स्वस्थ है।
छत्तीसगढ़ के राजनादगांव जिले के कोपेडी गांव की रहने वाली क्रांति बंजारे शुरूआत से ही यानि सात सितंबर से कन्याकुमारी से राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चल रही है। जैसे ही ये यात्रा शुरू हुई बीच-बीच में मेरे पेट में दर्द होता था। रोजाना इतनी लंबी यात्रा नहीं की इसलिए लगता था कि शायद पैदल चलने की वजह से दर्द हो रहा है। सामान्य दर्द मानकर चलती रही। जब हम हैदराबाद पहुंचे तो दर्द ज्यादा होने लगा। एक हॉस्पिटल गई तो डॉक्टरों ने स्टोन बताया। सोचा कि यात्रा पूरी होने के बाद सर्जरी करा लूंगी और डॉक्टर से दवाएं लेकर यात्रा में चलने लगी। जब मप्र के महू पहुंचे तो असहनीय दर्द होने लगा। महिला को महू के एक प्रायवेट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। महू के डॉक्टरों ने सोनोग्राफी कराई तो पेट में पांच स्टोन दिखे। डॉक्टरों ने बॉटल चढ़ाई तो दर्द ठीक हो गया। चूंकि इस यात्रा में परिवार का कोई सदस्य नहीं था और यात्रा कश्मीर तक जानी थी इसलिए मैनें सोचा कि अभी दर्द ठीक हो गया है यात्रा पूरी होने के बाद आॅपरेशन करा लूंगी।
दवा लेकर फिर अपने कैम्प में वापस आ गई। लेकिन यात्रा जैसे ही इंदौर पहुंची तो मुझे फिर इतना तेज दर्द हुआ कि सहन करना मुश्किल था। तबियत खराब होने की जानकारी जैसे ही दिग्विजय सिंह को लगी उन्होंने इंदौर के अरविन्दो हॉस्पिटल भिजवाया। दिग्विजय सिंह की निगरानी में े टेस्ट हुए। 29 नवंबर को मेरे सर्जरी हुई और किडनी और गाल ब्लैडर से दो-दो स्टोन निकले। सर्जरी के बाद जब आईसीयू से बाहर आई तो मेरे सामने दिग्विजय सिंह खड़े थे। एक पल के लिए मुझे लगा कि मेरे पिता मेरे सामने खड़े हैं। पूरे समय उन्होंने मेरी हालत पर नजर रखी डॉक्टरों से अपडेट लेते और फिर मुझसे हालचाल पूछते।
महिला ने बताया कि मेरे पति ड्रिप इरिगेशन के प्रोजेक्ट में जॉब करते हैं। मेरी सासु मां की तबियत खराब होने के कारण पति इंदौर नहीं आ पाए। लेकिन इस यात्रा में मेरा साथ छत्तीसगढ़ के जसपुर की रहने वाली आशिका कुजूर ने दिया। कन्याकुमारी से आशिका मेरे साथ पदयात्रा कर रही है। जब भी मुझे दर्द होता आशिका मुझे दवा देती और ख्याल रखती। इंदौर के हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद आशिका ने मेरे परिवार के सदस्य की तरह मेरी देखभाल की। जब मैं सो जाती तब वह कुछ देर के लिए सोती। जब मेरी नींद खुलती तो वह मेरे पलंग के पास खड़ी मिलती। इस यात्रा में दर्द का अहसास आशिका के साथ और दिग्विजय सिंह के आशीर्वाद से दूर हो गया।क्रांति का कहना है कि दस दिन के आराम के बाद वह भारत जोड़ो यात्रा में फिर से शामिल होंगी। वह अभी तक निरंतर पदयात्रा में चल रही थीं।