भोपाल
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा मामले में शुक्रवार को बड़ा अपडेट सामने आया है. प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम भोपाल और ग्वालियर स्थित सौरभ के घर और दफ्तर पहुंच गई है. लोकायुक्त और आयकर विभाग के ईडी इस मामले की जांच करने में जुटी है.
लोकायुक्त का छापा पड़ने के बाद से ही फरार चल रहे सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी ई-7 स्थित घर और दफ्तर में सीआरपीएफ जवानों के साथ ED की सर्चिंग जारी है. जबकि ग्वालियर में विनय नगर सेक्टर-2 स्थित सौरभ के पैतृक घर पर भी एजेंसी ने दबिश दी है. दोनों शहरों के की पॉश इलाकों में सौरभ शर्मा का घर है.
दरअसल, लोकायुक्त छापे मामले का प्रमुख आरोपी सौरभ शर्मा फ़िलहाल पत्नी दिव्या समेत फरार चल रहा है. उसके वकील ने अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया.
बता दें कि लोकायुक्त पुलिस के छापे में पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के पास 7.98 करोड़ रुपये की चल संपत्ति मिली है, जिसमें 2.87 करोड़ रुपये नकद और 234 किलोग्राम चांदी शामिल है.
भ्रष्टाचार निरोधक लोकायुक्त पुलिस के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस ने 18 और 19 दिसंबर को सौरभ शर्मा के आवास और कार्यालय की तलाशी ली थी.
लोकायुक्त पुलिस महानिदेशक जयदीप प्रसाद ने बताया कि सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे और उनकी 2015 में मृत्यु हो गई थी.
आईपीएस अधिकारी ने बताया कि इसके बाद सौरभ शर्मा को 2015 में अनुकंपा के आधार पर राज्य परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर नियुक्ति मिली और उसने 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली.
उन्होंने कहा कि सौरभ शर्मा ने भ्रष्ट तरीकों से अर्जित धन का इस्तेमाल भारी संपत्ति अर्जित करने में किया, जिसमें अपनी मां उमा, पत्नी दिव्या, रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों चेतन सिंह गौड़ और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल स्थापित करना शामिल है.
आयकर विभाग ने शर्मा के सहयोगियों गौड़ से नकदी और सोना भी जब्त किया है. प्रसाद ने बताया कि तलाशी के दौरान मिले बैंक विवरण और जमीन के दस्तावेजों की जांच की जा रही है.
सौरभ के पास से मिली थी चांदी और कैश
दरअसल, लोकायुक्त टीम ने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापा मारा था। जहां से 235 किलो चांदी और 2.95 करोड़ रुपए कैश मिले थे। वहीं 19 दिसंबर की देर रात मेंडोरी के जंगल से एक कार से 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए कैश आईटी की टीम ने बरामद किया था। घर के सामान, आभूषण और नगद जिसकी कुल कीमत 3 करोड़ 86 लाख रुपये है।
सौरभ के सहयोगी के निवास से भी मिले थे करोड़ों रुपये
वहीं आरोपी के कार्यालय जहां उनका सहयोगी चेतन सिंह गौर का निवास भी है, वहां से चांदी और नगद, कुल 4 करोड़ 12 लाख की संपत्ति बरामद की गई थी। बताया जा रहा है कि प्रदेश के अलग-अलग जगह पर बेनामी संपत्ति के दस्तावेज भी मिले थे। सौरभ शर्मा को पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। उन्होंने सिर्फ 10-12 साल की नौकरी की, फिर परिवहन विभाग से वीआरएस ले लिया था।
आयकर विभाग के अधिकारियों के हाथ लगी सौरभ की डायरी से बड़ा खुलासा हुआ। डायरी की मानें तो परिवहन विभाग में हर साल 100 करोड़ का काला हिसाब होता था। प्रदेश के 52 RTO और बड़े अफसरों के नाम, नंबर, पता के साथ हर माह पहुंचने वाली रकम लिखी है। उगाही की काली कमाई का पैसा ऊपर तक पहुंचाने का अनुमान है। सौरभ के सहयोगी चेतन का 150 पन्ने में बयान दर्ज हुआ। चेतन ने अफसरों के साथ कई बड़े नेताओं से सौरभ के गठजोड़ का भी खुलासा किया है।
इस मामले में लोकायुक्त, आईटी के बाद ईडी की एंट्री हुई। प्रवर्तन निदेशालय ने सौरभ शर्मा और उसके साथी चेतन के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया था। दुबई से लौटने के बाद सौरभ शर्मा और उसके परिवार से पूछताछ की जाएगी।
IT का लुक आउट सर्कुलर, सौरभ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
आयकर विभाग ने लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। वहीं दुबई में बैठे सौरभ शर्मा ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए भोपाल कोर्ट में पिटीशन दायर की थी, लेकिन भोपाल कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। इस मामले में आज शुक्रवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वकील के विशेष अनुरोध पर जज ने कल गुरुवार को ही सुनवाई कर दी।सौरव शर्मा के वकील ने अदालत में दलील दी थी कि आरोपी लोक सेवक नहीं है, इसलिए उसे अग्रिम ज़मानत का लाभ दिया जाए। न्यायाधीश ने अपने आदेश में उसे लोक सेवक मानते हुए एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया। फिलहाल इस पूरे मामले में लोकायुक्त, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय, तीनों एजेंसियां जांच में जुटी हुई है।