रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि दंतेवाड़ा जिले को सर्वाधिक पिछड़े जिले (आकांक्षी जिले) होने के कलंक से मुक्ति मिलेगी। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में हमने यह भागीरथ संकल्प लिया है कि हम आदिवासी क्षेत्रों में खुशहाली लाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के साथ यह विडम्बना है कि उन क्षेत्रों में गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बेरोजगारी तथा निम्न स्वास्थ्य सूचकांक गैर आदिवासी क्षेत्रों की तुलना में बहुत निचले क्रम पर है। भारतीय रिजर्व बैंक एवं वर्ल्ड बैंक के अनुमानों के अनुसार बस्तर के जिलों में बी.पी.एल. परिवारों का प्रतिशत 50 से 60 के बीच है। जबकि देश में बी.पी.एल. परिवारों का औसत लगभग 22 प्रतिशत है। विगत दशकों में देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या में बड़ी कमी हुई है किन्तु आदिवासी क्षेत्रों में इसका प्रकोप आज भी बरकरार है। दुर्भाग्य से पिछले 15 वर्षों में आदिवासी क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास के नाम पर हजारों करोड़ व्यय किए गए किन्तु आदिवासियों की मूलभूत समस्याओं में कोई सुधार नहीं हो सका। हमारे सामने आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह हम आदिवासी क्षेत्रों में गरीबी के प्रकोप को कम करके उनका जीवन खुशहाल बना सके।
सर्वप्रथम इस हेतु हमने दंतेवाड़ा जिले का चयन किया है, जो माओवादी हिंसा की चपेट में है तथा जहां सभी आर्थिक-सामाजिक सूचकांक निम्न स्थान पर है। दंतवोड़ा जिले की कुल जनसंख्या दो लाख 83 हजार 479 है तथा यहां रहने वाले कुल परिवारों की संख्या 48 हजार 574 है। इसमें से लगभग 57 प्रतिशत परिवार अर्थात 28 हजार परिवार गरीबी रेखा के नीचे है। हमने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि आगामी चार सालों में दंतवोड़ा जिले में गरीबी उन्मूलन हेतु विशेष अभियान चलाकर वहां रहने वाले बी.पी.एल. परिवारों की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम अर्थात 22 प्रतिशत से कम के स्तर पर लाया जाएगा ताकि दंतेवाड़ा जिले को आकांक्षी जिले (सर्वाधिक पिछड़े जिले) होने के कलंक से मुक्ति मिल सके।
दंतवोड़ा जिले में बी.पी.एल. परिवारों की संख्या को राष्ट्रीय औसत से नीचे लाने हेतु आवश्यक कार्य योजना तैयार कर ली गयी है तथा जनवरी 2020 के तीसरे अथवा चौथे सप्ताह से इसका विधिवत क्रियान्वयन आरंभ कर दिया जाएगा। कार्ययोजना के तहत स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मध्यान्ह भोजन योजना कार्यक्रम, सुपोषण अभियान, लघु वनोपजों के कलेक्शन, प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग, हार्टिकल्चर तथा शासकीय रेसीडेन्शियल शालाओं में सभी आवश्यक सामग्री की आपूर्ति इत्यादि कार्यों के माध्यम से लगभग 13 हजार परिवारों की सस्टनेबल इन्कम (स्थायी आय) बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही जिले के कुल 9 हजार 834 परिवार जिन्हें वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत पट्टे पर भूमि दी गई है, उन परिवारों के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की जा रही है, जिससे उनकी भी स्थायी आय का स्त्रोत तैयार किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दंतेवाड़ा जिले के अनुभवों के आधार पर इस कार्यक्रम के तहत आगामी वर्ष पुनः दो ऐसे जिलों का चिन्हांकन किया जाएगा जहां बी.पी.एल. परिवारों का प्रतिशत सर्वाधिक है। उन जिलों में भी स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप कार्ययोजना बनाई जाएगी तथा पिछड़े एवं गरीब जिले कहलाने के दंश से मुक्ति दिलाई जाएगी। राज्य सरकार द्वारा इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन सर्वोच्च प्राथमिकता (वॉर-फुटिंग) के आधार पर किया जाएगा तथा इसके लिए आवश्यक धन राशि मुहैया कराई जाएगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आदरणीय सोनिया जी एवं राहुल जी के नेतृत्व में हम लगभग काल्पनिक से लगने वाले इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होंगे।