भोपाल। राज्य शासन ने पंचायतों की आमदनी बढ़ाने के लिए पंचायत क्षेत्र में रहने वाले कर्मचारियों, अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों से टैक्स और फीस वसूलने का फैसला किया है। इसके लिए सभी कलेक्टरों और जिला पंचायतों के सीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि टैक्स व फीस जमा करने के लिए इनसे संपर्क किया जाए और शुरुआती दौर में इन्हें प्रेरित करने का काम किया जाए। दो अक्टूबर को होने वाली ग्रामसभा से इसकी शुरुआत होगी। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से दिए निर्देश में कहा गया है कि गांधी जयंती के दिन हर ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में पंचायतों की स्वयं की आय के साधन बढ़ाने की आवश्यकता और आय के प्रावधानों के संबंध में चर्चा की जाना है। पंचायत क्षेत्र के निवासी सभी शासकीय सेवकों और पंचायत प्रतिनिधियों को अनिवार्य तौर पर पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए लगने वाली फीस और टैक्स जमा करने के लिए प्रेरित करेंगे। पंचायतों को यह जिम्मेदारी भी सौंपी जा रही है कि वे अपनी आय बढ़ाने के लिए आय के प्रावधानों का प्रचार प्रसार भी करेंगे जो ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लान में शामिल की जाएगी। इस डेवलपमेंट प्लान की मानीटरिंग करने की जिम्मेदारी सीईओ जिला पंचायत को सौंपी गई है।
स्वच्छता, प्रकाश समेत अन्य टैक्स आएंगे दायरे में
ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराने के लिए शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर स्वच्छता और प्रकाश समेत अन्य सेवाओं के लिए टैक्स लगाए जा सकते हैं। प्रदेश में अभी कई ऐसी पंचायतें हैं जो कस्बों से भी ज्यादा आबाद हैं लेकिन उन्हें ग्राम पंचायत का ही दर्जा प्राप्त है। ऐसी पंचायतों में विकास कार्य के साथ सुविधाएं देने की जिम्मेदारी पंचायतों के पास है लेकिन धन की कमी से इसमें दिक्कत आती है। इसलिए शुरुआती दौर में ऐसी बड़ी पंचायतों में इस पर काम शुरू होगा। इस कैटेगरी में ऐसे पंचायतें शामिल हैं जिनकी आबादी तीन हजार तक है। यहां स्वास्थ्य सेवाओं, सड़कों के लिए भी प्लान तैयार करने के लिए कहा गया है।