नई दिल्ली । वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि भारत में कमजोर घरेलू खपत से विकास दर में गिरावट आएगी। इसका कई क्षेत्रों को दिए गए कर्ज की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि ग्रामीण इलाकों में वित्तीय समस्या खड़ा होना, रोजगार सृजन में कमी और नकदी संकट जैसे कारणों से विकास दर में गिरावट आएगी। मूडीज के सहायक उपाध्यक्ष एवं विश्लेषक देबराह तान ने कहा कि निवेश आधारित सुस्ती अब फैलती हुई खपत में कमी वाली अर्थव्यवस्था बन गई। कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की वेतन वृद्धि कमजोर पड़ने और जमीन एवं श्रम क्षेत्र के जटिल कानूनों से रोजगार सृजन में भी नरमी बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू खपत भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रीढ़ रही है। 2018-19 में जीडीपी में इस क्षेत्र की 57 फीसदी हिस्सेदारी रही है।
इससे पहले पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।