नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में विवाद हुआ, जो तनाव में बदला और दो साल से ज़्यादा समय तक चलता रहा. कोर कमॉडर स्तर की 16 राउंड की वार्ता के बाद अब तनाव ख़त्म हो चुका है, लेकिन आगे फिर से एसा नहीं होगा ये कहा ही नहीं जा सकता. इसीलिए इन दो सालों में भारतीय सेना ने सैन्य तैनाती में अपना अब तक का सबसे बड़ा बदलाव कर दिया है. थल सेना की बात करें तो उसने इन्फ़ैंट्री, आर्टिलरी, टैंक, एयर डिफ़ेंस सिस्टम, रडार सभी को एलएसी के पास तैनात कर दिया है. आर्टिलरी या कहे तोपख़ाने से हर तरह और हर रेंज की तोप और रॉकेट लॉन्चर जिसमें धनुष, 155 mm अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर, K-9 वज्र, बोफोर्स, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर और अन्य सैन्य उपकरण शामिल हैं।
इसके बाद से सेना का अब सारा फ़ोकस भी अब नार्दन बॉर्डर ही है और इसी के मद्देनज़र सेना ने ख़ास तौर पर चीन के खिलाफ एलएसी पर तैनाती के लिए 100 अतिरिक्त K-9 वज्र खरीदने का फ़ैसला किया है और वो भी खास तौर पर हाई ऑल्टिट्यूड (उंचाई वाले) इलाके के लिए… सेना के सूत्रों के मुताबिक़, चूंकि K-9 वज्र तोप पहले ही भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी है. उसे पाकिस्तान सीमा के पास रेगिस्तान में ऑपरेट करने के लिए लिया गया था, लेकिन जैसे ही पूर्वी लद्दाख में विवाद बढ़ा इन तोपों को हाई ऑल्टिट्यूड में तैनात कर दिया गया, जहां तापमान -20 तक गिर जाता है. चूंकि माइनस तापमान वाले इलाक़ों में ऑयल, लुब्रिकेंट, बैटरी और अन्य कई दिक़्क़तें पेश आती हैं. लिहाजा अब 100 अतिरिक्त K-9 वज्र तोप ख़ास उन 9 आईटम और फ़ायर एंड कंट्रोल सिस्टम में बदलाव के साथ ली जा रही हैं, जो कि ऊंचे इलाक़े के लिए बेस्ट हैं।
तोपखानों का आधुनिकीकरण कर रही सेना
भारतीय सेना का तोपखाना (आर्टिलरी) आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है और सेना का ये प्लान है कि वर्ष 2040 तक सभी आर्टिलरी रेजिमेंट को 155 mm मीडिया में तब्दील कर दिया जाए. इसके साथ ही आर्टिलरी में भविष्य में सिर्फ स्वदेशी तोपों को शामिल करने की दिशा में काम चल रहा है. स्वदेशी तोप धनुष की एक रेजिमेंट सेना को मिल भी चुकी है और नॉर्दर्न बॉर्डर पर तैनात भी किया जा चुका है. सूत्रों के मुताबिक़, दूसरे रेजिमेंट की 18 गन अगले साल यानी मार्च 2023 तक मिलने की उम्मीद है।
इसके साथ ही स्वदेशी टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) और माउंटेड गन सिस्टम खरीदने पर भी काम चल रहा है. ATAGS ट्रायल के अडवांस स्टेज में है. डीआरडीओ और स्वदेशी प्राइवेट सेक्टर ने मिलकर इसे डिजाइन किया और बनाया है. इसमें 25 लीटर का चेंबर है, जो लॉग रेंज है और रेपिड फायर हो सकता है. इसके यूजर ट्रायल हो गए हैं जो संतोषजनक रहे है, लेकिन अभी अन्य प्रक्रियाओं में कुछ देरी हो रही है।
बोफोर्स तोपों को किया जाएगा रिटायर
दरअसल बोफोर्स गन को सेना में शामिल हुए 36 साल हो गए है और इन्हें अब रिटायर किया जाना है. सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़, पिछले 5 साल में जितनी भी गन ली गई है, वे बस अमेरिका से ली गई. M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर के अलावा सभी स्वदेशी हैं. सूत्रों की मानें तो M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर की रेजिमेंट 3 से बढ़कर अब 7 तक हो गई है और अभी फ़िलहाल अतिरिक्त गन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है. अगर हम आआर्टिलरी रेजिमेंट की बात करें तो हर रेजिमेंट में 3 बैटरी होती है और हर बैटरी में 6 गन होती है यानी एक रेजिमेंट 18 गन होती है।
मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर रेजिमेंट में भी इजाफा
आर्टिलरी को किंग ऑफ़ द बैटल फ़ील्ड भी कहा जाता है, यानी जिसकी तोपें जितनी जानदार और ताकतवर होगी जंग में उसी का पलड़ा हमेशा भारी रहेगा. लंबी दूरी तक मार करने वाले रॉकेट लॉन्चर भी भारतीय सेना की आर्टिलरी का हिस्सा है, जिसमें रूस से ली गई स्मर्च मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर की 3 रेजिमेंट, ग्रैड की 5 रेजिमेंट और स्वदेशी पिनाका की 4 रेजिमेंट शामिल है. वहीं आत्मनिर्भर भारत के तहत अब स्वदेशी पिनाका रेजिमेंट की संख्या भी बढ़ने वाली है।
सेना के सूत्रों के मुताबिक़, आने वाले 4 से 5 साल में पिनाका की 10 रेजिमेंट भारतीय सेना के पास होगी, यानी पिनाका की 6 और रेजिमेंट सेना को मिल जाएगी. ये रेजिमेंट अपग्रेटेड होंगी, जिससे अलग-अलग तरह के एम्युनिशन आसानी से दागे जा सकेंगे।
रक्षा अधिग्रहण समिति पिनाका वेपन सिस्टम के लिए बढ़ी हुई रेंज यानी एक्सटेंडेड रेंज गाइडेड रॉकेट जिसकी मारक क्षमता 75 किलोमीटर है, उसे लेने की मंजूरी दे चुकी है. यानी भारतीय सेना ज्यादा दूरी तक सटीक निशाना लगा सकेगी।